आ,साथी नव दीप जलाएँ
दूर घ्रणा का करें अँधेरा
प्रेम राग का रहे बसेरा
युग-युग की वेदना मिटा दे,ऎसी कोई राह बनाएँ
आ,साथी नव दीप जलाएँ
देवगगन में अब हम जाएँ
नया दिवाकर ले कर आएँ
तृष्णा के घन अँधियारे को,आ उससे ही दूर भगाएँ
आ,साथी नव दीप जलाएँ
निज विलास से बाहर आएँ
नर नारायण फिर मिल जाएँ
किरण पुंज प्रज्ञा में चमके,भेद अंनत सुलझ सब जाएँ
आ,साथी नव दीप जलाएँ
विक्रम
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
दूर घ्रणा का करें अँधेरा
प्रेम राग का रहे बसेरा
युग-युग की वेदना मिटा दे,ऎसी कोई राह बनाएँ
आ,साथी नव दीप जलाएँ
देवगगन में अब हम जाएँ
नया दिवाकर ले कर आएँ
तृष्णा के घन अँधियारे को,आ उससे ही दूर भगाएँ
आ,साथी नव दीप जलाएँ
निज विलास से बाहर आएँ
नर नारायण फिर मिल जाएँ
किरण पुंज प्रज्ञा में चमके,भेद अंनत सुलझ सब जाएँ
आ,साथी नव दीप जलाएँ
विक्रम
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
नई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!
नव दीप यूं ही जलते रहें ...
जवाब देंहटाएंदीपावली की बधाई और शुभकामनायें ...