हमारे मित्र व उड़िया के जाने माने कवि मनु दाश जी ने गुलज़ार जी की रचनाओं का उडिया भाषा मे रूपांतरण किया है।जिसका नाम है,''झिपी झिपी बरसा''। साथ ही मै मनु दाश जी की लिखी रचना व गुलज़ार जी के साथ उनका चित्र प्रकाशित कर रहा हूँ
घर वहाँ
प्रार्थना जहाँ
ईश्वर वहाँ
खामोशी जहाँ
प्रेम वहाँ
अकेलापन जहाँ
मृत्यु वहाँ
पूर्णता जहाँ
मनु दाश जी की कविता उनकी किताब ''खैर अगली बार फिर आऊगी'' से।
Chitr to dikhe nahee...kewal ek dikha1
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsoorat abhivyakti....badhai sweekaren Vikram ji.
जवाब देंहटाएंकुछ लाइनों में जीवन की सम्पूर्ण सचाई बयाँ की है, बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति अच्छी रचना,..
जवाब देंहटाएं--26 जनवरी आया है....
Kuch hi shabdon mein gahri baat likh di Manu Da ne ...
जवाब देंहटाएंचंद लाईनों में जीवन का सार छिपा है।
जवाब देंहटाएंआभार इन पंग्तियों से रूबरू करने के लिए
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता है विक्रम जी. आभार.
जवाब देंहटाएंsundar panktiya
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