आदरणीय साथियो
नमस्कार
आज से अपने ब्लॉग विक्रम ७ में लेखन कार्य समय की कमी के कारण बंद कर रहा हूँ. बराबर लेखन व पठन कार्य न करने से एक दूरी बन जाती है,जिसे इस ब्लॉग जगत में पूरा करना मुश्किल हो जाता है. लगभग तीन वर्षो में इस ब्लॉग के माध्यम से जो रिश्ता आप लोगो से कायम हुआ ,वह मेरे लिए अमूल्य है.व जीवन भर की यादगार, समय मिला तो फिर कभी एक नये ब्लॉग के साथ आपसे मिलने जरूर वापस आऊगां . आप सभी के लिए मेरी शुभकामना है कि इसी तरह अपने विचारों को अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगी तक पहुचाते रहें,और मुझे आशा है की साहित्य के साथ साथ सामाजिक जागरूकता में भी आपका यह प्रयास नए मापदंड कायम करेगा, साथ ही ब्लॉग बंद नहीं कर रहा हूँ,पठन के लिए उपलब्ध रहेगा. और समय समय में इसके माध्यम से आप लोगो की रचनाओं को पढता व टिप्पणी {: भी करता रहूँगा. मै आज अपनी वही पुरानी रचना पोस्ट कर रहा हूँ ,जो इस ब्लॉग की प्रथम पोस्ट थी.
शुभकामनाओं केसाथ
नमस्कार
आज से अपने ब्लॉग विक्रम ७ में लेखन कार्य समय की कमी के कारण बंद कर रहा हूँ. बराबर लेखन व पठन कार्य न करने से एक दूरी बन जाती है,जिसे इस ब्लॉग जगत में पूरा करना मुश्किल हो जाता है. लगभग तीन वर्षो में इस ब्लॉग के माध्यम से जो रिश्ता आप लोगो से कायम हुआ ,वह मेरे लिए अमूल्य है.व जीवन भर की यादगार, समय मिला तो फिर कभी एक नये ब्लॉग के साथ आपसे मिलने जरूर वापस आऊगां . आप सभी के लिए मेरी शुभकामना है कि इसी तरह अपने विचारों को अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगी तक पहुचाते रहें,और मुझे आशा है की साहित्य के साथ साथ सामाजिक जागरूकता में भी आपका यह प्रयास नए मापदंड कायम करेगा, साथ ही ब्लॉग बंद नहीं कर रहा हूँ,पठन के लिए उपलब्ध रहेगा. और समय समय में इसके माध्यम से आप लोगो की रचनाओं को पढता व टिप्पणी {: भी करता रहूँगा. मै आज अपनी वही पुरानी रचना पोस्ट कर रहा हूँ ,जो इस ब्लॉग की प्रथम पोस्ट थी.
शुभकामनाओं केसाथ
एक अच्छी रचना पढ़ने का सुख मिला वहीं आपके लेखनी के विराम को जानक्र दुख भी हुआ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ,मनोज जी
हटाएंविक्रम जी, कारण चाहे जो भी हो किन्तु ब्लॉग लेखन बंद करने का फैसला मुझे उचित नही लगा,इस पर पुनः गंभीरता से विचार करें...
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...
धन्यवाद ,भाई साहब
हटाएंआखिरी कुछ भी नहीं ,विश्राम बस कहिये इसे ,
जवाब देंहटाएंयाद आयेंगे बहुत ,सलाम मत कहिये इसे !
शुभकामनायें !
धन्यवाद ,त्रिवेदी जी
हटाएंकारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
जवाब देंहटाएंमंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये... bas yahi duhrana hai
धन्यवाद ,रश्मि जी
हटाएंकारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
जवाब देंहटाएंमंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये
....इंतज़ार रहेगा आपके ब्लॉग जगत में फ़िर से सक्रिय होने का....
धन्यवाद ,शर्मा जी
हटाएंब्लॉग लेखन बंद करने का फैसला मुझे उचित नही लगा
जवाब देंहटाएंस्नेह के भाव लिये सुन्दर रचना ....आभार एवं शुभ कामनायें !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ,भास्कर जी
हटाएंसर जी ,विनम्र अनुरोध है की लिखते रहिये ,जब भी समय मिले ,पूर्व की भाति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नंदिता जी
हटाएंहोता है ऐसा ही विक्रम जी...बहुत जल्द मैं भी आपके जैसा ही फ़ैसला लेने वाली हूं. शुभकामनाएं. उम्मीद है बीच बीच में आपकी रचनाएं पढने को मिलती रहेंगीं.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वंदना जी
हटाएंलिख दिया जो आपको नाराज इतना हो गये
जवाब देंहटाएंअब नही आगे लिखेगे कह यहाँ से चल दिये
जा रहें हैं छोड़ के तो यह भी सुनते जाइये
न कहूगाँ आपसे अब लौट,वापस आईये
प्यार जो पाया यहाँ पे वह भुला न पायेगें
डोर है तगड़ी बंधी क्या तोड़ इसको पायेगें
जब उठेगे भाव दिल में रोक कैसे पायेगे
फिर सुनाने आप हमको लौट करके आयेगे
सादर
शुभकामनायें
धन्यवाद, विजय जी
हटाएंआखिरी पोस्ट लिख कर हमें सुन्दर कविताओं से वंचित न करें..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
धन्यवाद, ऋतू जी ,
हटाएंइस ब्लाग की
जवाब देंहटाएंछुट्टी पर जाने से पहले की पोस्ट
कर डालें
आंखिरी को छुट्टी पर अपने साथ ले जालें
लौट के आयें छुट्टी के बाद
समय मिलने पर कोई पोस्ट चिपका डालें।
धन्यवाद, जोशी जी ,
हटाएंकारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
जवाब देंहटाएंमंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये
ये सूत्र वाक्य ही बसा रहे हृदय में... लेखनी विराम नहीं लेगी कभी!
सादर!
धन्यवाद, अनुपमा जी ,
हटाएंहैं नजारे ही नहीं,काफी समझ भी जाइये
जवाब देंहटाएंदेखने वाले के नजरों, में जुनूँ भी चाहिये ...
आकी जुनूनी नज़रों की प्रतीक्षा रहेगी विक्रम जी ... आना जावा और व्यस्ताता तो जरूरी है पर संपर्क रहे ये भी जरूरी है ..
धन्यवाद, नासवा जी ,
हटाएंकारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
जवाब देंहटाएंमंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये
बिल्कुल सही कहा है आपने इन पंक्तियों में ..
धन्यवाद,सदा जी
हटाएंआप भले ही अपने कामों को पूरा करें लेकिन कभी-कभी यहाँ भी कोई पोस्ट लगा दिया करें!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं सहित!
धन्यवाद,शास्त्री जी,आपका आदेश सर माथे
हटाएंबहुत सुंदर रचना ,,अंतिम पोस्ट सुन कर थोडा अजीब लग रहा है,कुछ वक्त बाद फिर लिखिए.....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,अवन्ती जी
हटाएंकारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
जवाब देंहटाएंमंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये.
इतनी बेरुखी उचित नहीं लग रही. कभी कभी ही सही ब्लॉग पर भी आते रहिये..
धन्यवाद, अतुल जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,रचना जी
जवाब देंहटाएंमाननीय साथियो
जवाब देंहटाएं.तीन साल के अपने ब्लॉग लेखन में मुझे एक से एक अच्छी व उच्च स्तरीय रचनाये पढने को मिली,व आज भी उम्दा लेखको का प्रवेश ब्लॉग जगत में हो रहा है,मै अपने इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी के विचारों से अवगत हुआ ,मुझे पहली बार यह एहसास हुआ कि यह ब्लॉग जगत अपनी रचनाओं को लिखने भर का मंच नही है,यह तो एक भरा पूरा परिवार है,जिससे हम एक अटूट रिश्ते के साथ जुड़े है,परिवार की भाति इसमें भी हमारे बुजुर्ग ,हम उम्र ,व युवा है. मुझसे भूल हुयी ,कि मैने इन रिश्तो को अनदेखा कर ऐसा लिखा ,मै आप सभी से अपनी इस भूल के लिये माफी चाहता हूँ. समय मिलने पर अपने इसी ब्लॉग पर पूर्व की भाति लेखन कार्य जारी रखुगां.
क्षमा याचनाके साथ
बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये
जवाब देंहटाएंरो रहे मासूम को, रुक कर ज़रा दुलराइये
बहुत बेहतरीन भाव