vikram7
कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये, मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये.
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बुधवार, 14 नवंबर 2012
vikram7: आज फिर कुछ खो रहा हूँ ..
vikram7: आज फिर कुछ खो रहा हूँ ..
: आज फिर कुछ खो रहा हूँ करुण तम में है विलोपित हास्य से हो काल कवलित अधर मे हो सुप्त, सपनो से विछुड कर सो रहा हूँ नग्न जीवन है, प्रदर्शित ...
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