vikram7
कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये, मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये.
Click here for
Myspace Layouts
बुधवार, 17 मई 2017
जब वक्त था......
जब
वक्त था
तब
सब्र नही
जब
सब्र है
तो
वक्त नही
अजीब फंडा हैै
जिंदगी का
जब
चाह थी
तब
राह नही
जब
राह है
तो
चाह नही
विक्रम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें