चलो सुखी फिर से हो जाएँ
मृदुल भाव से देती ताना
कोई भूला गीत सुनाना
जीवन के बीते लम्हों को,संग आज हम अपने पाएँ
चलो सुखी फिर से हो जाएँ
वही पुरानी बिदिंया लाना
मेरी निंदिया आज चुराना
मौसम कितने ही गुजरें, पर अधर नहीं तेरे कुम्हलाएँ
चलो सुखी फिर से हो जाएँ
सुख-दुःख से है साथ पुराना
तुम ऐसे ही साथ निभाना
साँसों की इस पगडंडी से,हट कर अपनी राह बनाएँ
चलो सुखी फिर से हो जाएँ
विक्रम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें