साथी दूर विहान हो रहा
रवि रजनी का कर आलिंगन
अधरों को दे क्षण भर बन्धन
कर पूरी लालसा प्रणय की, मंद-मंद मृदु गान कर रहा
साथी दूर विहान हो रहा
अपना सब कुछ आज लुटाकर
तृप्ति हुयी यौवन सुख पाकर
शरमाई रजनी से रवि को, प्रेम भरा प्रतिदान मिल रहा
साथी दूर विहान हो रहा
रजनी पार क्षितिज के जाती
आँखों से आँसू छलकाती
झरते आँसू पोछ किरण से, रवि रजनी का मान रख रहा
साथी दूर विहान हो रहा
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