मेरे जीवन में जब भी, अधियारे पल हैं आये
मैने उनमे ही हरदम, उजियारे पथ हैं पाये
कष्टों से जब गुजरे, तब सुख क्या होता है जाना
रिश्ते टूटे तब मैने , संबंधो को पहचाना
स्वप्न बहुत सुन्दर देखे, साकार नहीं कर पाये
मेरे.................................................................
घोर निराशा हुयी तो, आशा ही जीवन है माना
ठोकर खाई तब मैने , क्या पीर पराई जाना
संवेदना के स्वर सदैव है ,व्यथित ह्रदय को भाये
मेरे..................................................................
मृग- तृष्णा सा स्वार्थ किया परमार्थ ,तभी मन माना
प्रेम त्याग में शांति , रहा न इससे मैं अनजाना
श्रद्धा में है शक्ति तभी , पत्थर ईश्वर बन जायें
मेरे...........................................................
vikram
मेरे जीवन में जब भी, अधियारे पल हैं आये
जवाब देंहटाएंमैने उनमे ही हरदम, उजियारे पथ हैं पाये'
-ऐसी आशावादिता ही जीवन को सार्थक बनाती है. साधुवाद
शाबाश बहुत अच्छे भाव हैं बधाइ
जवाब देंहटाएंबहुत आशा से परिपूर्ण भाव-बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत शब्दों से सजी आप की रचना लाजवाब है...बधाई इस रचना के लिए...
जवाब देंहटाएंनीरज
ठोकर खाई तब मैने , क्या पीर पराई जाना
जवाब देंहटाएंसंवेदना के स्वर सदैव है ,व्यथित ह्रदय को भाये
अत्यन्त सुंदर ठाकुर साहब, अत्यन्त सुंदर .
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति , मंगलकामनाएं आपको !
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