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गुरुवार, 31 जुलाई 2025

 "शिवतांडवमहिमा स्तोत्रम्" 1

 "शिवतांडवमहिमा स्तोत्रम्" 

ॐ नमः शिवाय।।

1. 

श्लोकजटाटवीसङ्कुलगङ्गया विश्वसौम्यं समुज्ज्वलति,

सहस्रसूर्योज्ज्वलचन्द्रमौलिः स्फुरति भालदेशे यथा।

महानिनादेन डमरुं विश्वं गर्जति संनादति प्रभुः,

नमामि शंभुं परमं सनातनं सत्यरूपं त्रिलोकीनाथम्।

ॐ नमः शिवाय ॥  


अनुवाद:

जटाओं का वन गंगा से संनादित, विश्व को सौम्यता से उज्ज्वल करता,सहस्र सूर्यों-सा चमकता चंद्रमा मस्तक पर स्फुरति है।महान निनाद से डमरु विश्व को गर्जन से संनादित करता,मैं त्रिलोकनाथ, सनातन, सत्यरूप शंभु को प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 2.

 श्लोकनीलकण्ठः कालविजेता स्मरारिरुग्रो महेशः प्रभुः,

कपालमालाधर विश्वरूपी उमाकान्तमहं भजे।

सृष्टिस्थित्यंतं वहति शक्त्या शिवेन संनादति विश्वम्,

हृदये प्रपद्ये शंकरं सदा मोक्षदं सनातनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 अनुवाद:

नीलकण्ठ, काल को जीतने वाला, स्मर का शत्रु, उग्र महेश,

कपालमाला धारण करने वाला, विश्वरूप, उमा का प्रिय, मैं उसे भजता हूँ।सृष्टि, स्थिति, और संहार को वहन करता, शक्ति-शिव से विश्व संनादति,मैं हृदय में सनातन, मोक्षदायक शंकर का आश्रय लेता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 3.

 श्लोकनटति विश्वं यदङ्घ्रियुगे त्रिपुरान्तकारी परः,

नटराजः शूलपाणिः गङ्गया स्फुरति निनादति।

गजचर्मवासा महायोगिनाथः कृपाकरः सनातनः,

प्रणतोऽस्मि शंभुं हृदये सदा मोक्षमार्गप्रदायिनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥  


अनुवाद:

जिनके चरणों में विश्व नृत्य करता, त्रिपुर का संहारक, परम,

नटराज, शूलधारी, गंगा के साथ स्फुरति और निनादति।

गजचर्म धारण करने वाला, महायोगियों का नाथ, करुणा का सागर,मैं सदा मोक्षमार्ग देने वाले शंभु को हृदय में प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 4. 


श्लोकवृषध्वजः पिनाकहस्तः कैलासे स्मितचन्द्रमौलिः,

सहस्रनाम्ना मुनिगंधर्वगीतः सर्वलोकसुखंकरः।

कृपासमुद्रो विश्वरक्षी यदीये तेजसि लीनति,

नमामि शंकरं हृदये सदा सौम्यं सत्यरूपकम्।

ॐ नमः शिवाय ॥  


अनुवाद:

वृषभ ध्वज वाला, पिनाकधारी, कैलास पर स्मित-चंद्रमा मस्तक,सहस्र नामों से मुनियों-गंधर्वों द्वारा गाया, सभी लोकों को सुख देने वाला।करुणा का समुद्र, विश्व का रक्षक, जिनके तेज में विश्व लीन होता,मैं सदा सौम्य, सत्यरूप शंकर को हृदय में प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 5. श्लोकस्फुरति शीर्षे शशांकः डमरुं नादति प्रभुरुग्रः,

नीललोहितः पञ्चवक्त्रः सनातनः शूलधारी यः।

गङ्गया यस्य शक्त्या विश्वं संनादति स्फुरति सदा,

ध्यायामि शंभुं हृदये मोक्षाय परमं शिवम्।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


अनुवाद:

मस्तक पर चंद्रमा स्फुरति, डमरु नाद करता, उग्र प्रभु,

नीललोहित, पंचमुखी, सनातन, शूलधारी।

गंगा की शक्ति से विश्व सदा स्फुरति और संनादति है,

मैं परम शिव का हृदय में मोक्ष के लिए ध्यान करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 6. 

श्लोकहलाहलं कण्ठगतं येन समुद्रजं धृतं सदा,

सर्पालंकारः कैलासे संनादति शंकरः प्रभुः।

सर्वसाक्षी विश्वरक्षी यस्य तेजसि संनादति,

नमामि तं शंभुमीशं सत्यरूपं मोक्षदायिनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 अनुवाद:

जिन्होंने समुद्रजात हलाहल को कण्ठ में धारण किया,

सर्पों से अलंकृत, कैलास पर शंकर संनादति।

सर्वसाक्षी, विश्वरक्षक, जिनके तेज में विश्व संनादति,

मैं सत्यरूप, मोक्षदायक शंभु को प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥


  7. 

श्लोकअर्धनारीश्वररूपं शक्तिशिवं समन्वितं परम्,

उमापतिः सर्ववित् स्मरान्तकः सनातनः प्रभुः।

सदाशिवः विश्वमूर्तिः सर्वं यत्र संनादति सदा,

ध्यायामि शंभुं हृदये शांतये परमं शिवम्।

ॐ नमः शिवाय ॥  


अनुवाद:

अर्धनारीश्वर, शक्ति-शिव का समन्वित परम रूप,

उमा के पति, सर्वज्ञ, स्मर का शत्रु, सनातन प्रभु।

सदाशिव, विश्व की मूर्ति, जिसमें सारा विश्व संनादति,

मैं शांति और परम शिव का हृदय में ध्यान करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥


  8. 

श्लोकपिनाकहस्तः कृपाब्धिः भवानीपतिः परः प्रभुः,

सत्यं शिवं सुंदरं च योगिनां परमं गतिः।

नृत्यति विश्वं यदीये तांडवे क्षणमात्रतो यथा,

प्रणमामि शंभुं हृदये सर्वसिद्धिप्रदायिनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 अनुवाद:

पिनाकधारी, करुणा का सागर, भवानी के पति, परम प्रभु,

सत्य, शिव, सुंदर, योगियों की परम गति।

जिनके तांडव में विश्व क्षणमात्र में नृत्य करता,

मैं हृदय में सर्वसिद्धि देने वाले शंभु को प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 9. 

श्लोकसहस्रनामं विश्वरूपं यदङ्घ्रियुगे नटति विश्वम्,

नटेशः पशुपतिः रुद्ररूपी महेशः स्मरहा यः।

कालस्य यमः सर्वलोकप्रियंकरः कृपासिन्धुः,

नमामि शंभुं हृदये मोक्षगतिं सत्यरूपकम्।

ॐ नमः शिवाय ॥  


अनुवाद:

सहस्र नामों वाला विश्वरूप, जिनके चरणों में विश्व नृत्य करता,नटेश, पशुपति, रुद्ररूपी, महेश, स्मर का संहारक।

काल का भी यम, सभी लोकों को प्रिय, करुणा का सागर,

मैं हृदय में मोक्ष की गति, सत्यरूप शंभु को प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 10.

 श्लोकत्रिनेत्रः भस्मलिप्ताङ्गः सनातनः शूलपाणिः प्रभुः,

महातांडवेन विश्वं नटति स्मितचन्द्रशेखरस्य।

शिवः शंभुः रुद्रः पशुपतिः सर्वं यत्र संनादति,

नमामि विश्वनाथं हृदये शांतये मोक्षदायिनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 अनुवाद:

त्रिनेत्र, भस्म से लिप्त, सनातन, शूलधारी प्रभु,

महातांडव से विश्व स्मित-चंद्रशेखर के साथ नृत्य करता।

शिव, शंभु, रुद्र, पशुपति, जिसमें सारा विश्व संनादति,

मैं विश्वनाथ को हृदय में शांति और मोक्ष के लिए प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 11. 

श्लोकभवानीसहितं भवं यत् सर्वं विश्वं संनादति,

कामारिः योगीन्द्रनाथः स्मितार्धेन्दुशेखरः प्रभुः।

वृषध्वजः सर्वलोकसुखंकरः कृपासिन्धुरद्वैतः,

नमामि शंभुं हृदये सदा सर्वसिद्धिप्रदायिनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥


  अनुवाद:

भवानी सहित भव, जिसमें सारा विश्व संनादति,

काम का शत्रु, योगींद्रों का नाथ, अर्धचंद्र से शोभित।

वृषभ ध्वज वाला, सभी लोकों को सुख देने वाला, करुणा का सागर, अद्वैत,मैं सदा सर्वसिद्धि देने वाले शंभु को हृदय में प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 12. श्लोकसहस्रसूर्यार्चितं भालचन्द्रं नटति विश्वं यदङ्घ्रौ,

त्रिलोकीनाथः स्मरान्तः सर्वसाक्षी महायोगिनाथः।

शिवं शंभुं परं तं नमामि हृदये सदा सत्यरूपम्,

महातांडवेन यदीये विश्वं संनादति मोक्षदायिनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 अनुवाद:

सहस्र सूर्यों से अर्चित भाल का चंद्रमा, जिनके चरणों में विश्व नृत्य करता,त्रिलोकनाथ, स्मर का शत्रु, सर्वसाक्षी, महायोगियों का नाथ।मैं परम शिव, सत्यरूप शंभु को हृदय में सदा प्रणाम करता हूँ,जिनके महातांडव से विश्व संनादति, मोक्ष देने वाला।

ॐ नमः शिवाय ॥


  13.

 श्लोककैलासशृङ्गे विहरति यः स्मितचन्द्रशेखरः प्रभुः,

सर्पालंकारः शूलहस्तः सर्वलोकसुखंकरः सदा।

विश्वं यदीये तांडवे स्फुरति गङ्गया सह नादति,

प्रणमामि शंभुं हृदये सदा सौम्यं मोक्षदायिनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥  


अनुवाद:

कैलास शिखर पर विहरने वाला, स्मित-चंद्रशेखर प्रभु,

सर्पों से अलंकृत, शूलधारी, सभी लोकों को सुख देने वाला।

जिनके तांडव में विश्व गंगा के साथ स्फुरति और नादति है,

मैं सदा सौम्य, मोक्षदायक शंभु को हृदय में प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 14.

 श्लोकसद्योजातः विश्वकर्ता पञ्चवक्त्रः सनातनः प्रभुः,

कामारिः त्रिनेत्रधारी भस्मलिप्तः कृपानिधिः सदा।

नृत्यति यस्य शक्त्या विश्वं संनादति स्फुरति सदा,

नमामि शंभुं परमं हृदये मोक्षगतिप्रदायिनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥


  अनुवाद:

सद्योजात, विश्व का कर्ता, पंचमुखी, सनातन प्रभु,

काम का शत्रु, त्रिनेत्रधारी, भस्मलिप्त, करुणा का खजाना।

जिनकी शक्ति से विश्व सदा नृत्य और संनादति है,

मैं परम शंभु को हृदय में मोक्ष की गति देने वाले को प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥


  15. 

श्लोकयस्य तांडवेन विश्वं संनादति सौम्यरूपकं सदा,

शिवः शंभुः पशुपतिः सर्वं यत्र संनादति लीनति।

कृपासमुद्रं विश्वनाथं सहस्रनामं सनातनम्,

प्रणमामि तं हृदये शांतये सर्वसिद्धिप्रदायिनम्।

ॐ नमः शिवाय ॥


  अनुवाद:

जिनके तांडव से विश्व सौम्य रूप में संनादति है,

शिव, शंभु, पशुपति, जिसमें सारा विश्व संनादति और लीन होता है।करुणा का समुद्र, विश्वनाथ, सहस्रनाम, सनातन,

मैं शांति और सर्वसिद्धि देने वाले को हृदय में प्रणाम करता हूँ।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 फलश्रुतियः 


पठति स्तोत्रमिदं शिवमहिमा तांडवस्य नव्यं,

सः सर्वसिद्धिं लभते मोक्षमार्गं च शांतिम्।

शंभुं सदा हृदये ध्यायति यः शिवभक्तः,

सर्वं विश्वं तस्य कृपया संनादति सौम्यम्।

ॐ नमः शिवाय ॥ 


 अनुवाद:

जो इस नव्य शिवमहिमा तांडवस्तुति का पाठ करता है,

वह सर्वसिद्धि, मोक्षमार्ग, और शांति प्राप्त करता है।

जो शिवभक्त सदा शंभु का हृदय में ध्यान करता है,

उसके लिए विश्व उनकी कृपा से सौम्यता से संनादति है।

ॐ नमः शिवाय ॥

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