कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये
पीर को भी प्यार से,वेइंतिहाँ सहलाइये
आशिकी में डूबते,उसको भी अपने पाइये
हैं नजारे ही नहीं,काफी समझ भी जाइये
देखने वाले के नजरों,में जुनूँ भी चाहिये
बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये
रो रहे मासूम को,रुक कर ज़रा दुलराइये
टूटती उम्मीद पे,हसते हुए बस आइये
अपने पहलू में नई,खुसियां मचलते पाइये
विक्रम
स्वागत है आपका लिखते रहें
जवाब देंहटाएंकलम से जोड्कर भाव अपने
जवाब देंहटाएंये कौनसा समंदर बनाया है
बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
सुंदर रचना संसार बनाया है
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
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बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंशुभाआशिष॥॥ वन्दे मातरम॥।
जवाब देंहटाएंpl vist my blog;=;
HEY PRABHU YEH TERA PATH
http://ombhiksu-ctup.blogspot.com/
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ....लिखते रहिये |
जवाब देंहटाएंइधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूंऽऽऽऽऽऽऽ
जवाब देंहटाएंऔर बधाई भी देता चलूं...
बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये
जवाब देंहटाएंरो रहे मासूम को,रुक कर ज़रा दुलराइये.
Khub likha hai aapne. Swagat blog parivar aur mere blog par bhi.
अत्यन्त सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंआपका लिखने पढने की दुनिया में स्वागत है
मेरे ब्लॉग पर पधारे स्नेहिल आमंत्रण है
शुभकामनावो के लिए आप सभी का आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंvikram