एक मुट्ठी दायरे में ,हैं जो सिमटी जिंदगानी
ख्वाब हैं कितने बड़े,कितनी बड़ी इसकी कहानी
हैं कहीं ममता की मूरत, तो कहीं नफरत की आंधी
रूप हैं कितने ही इसके, जा नहीं सकती ये जानी
तोड़ती हर दायरे, आती हैं इसपे जब जवानी
एक .........................................................
हैं वफा और बेवफा भी ,प्रीत भी हैं पीर भी
ये कहीं मजनू बने तो, ये कहीं पे हीर भी
ये कबीरा ये फकीरा, ये बने मीरा दिवानी
एक .....................................................
हैं कहाँ इसका ठिकाना, आज तक कोई न जाना
पीर संतो ने भी इसको, बस खुदा का नूर माना
हैं सुखनवर के लिये,उल्फत भरी कोई कहानी
एक ...........................................................
vikram
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना !!
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