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शुक्रवार, 16 जनवरी 2009

जब हम कुछ दिन बाद ............

जब हम कुछ दिन बाद मिले थे



मेरी प्रतीक्षा मे तुम रत थे

नयन तेरे कितने विह्वल थे




एक-दूजे को देख हमारे मन, मे कितने दीप जले थे



मै आया जब पास तुम्हारे

कम्पित तन-मन हुये हमारे



अपलक तक नयनो से मुझको ,तुमने कितने प्रश्न किये थे



क्षण भर का एकांत देख कर

वक्ष-स्थल से मेरे लग कर




तेरी उर धड़कन ने मुझसे जीवन के प्रति-क्षण मागे थे

विक्रम

1 टिप्पणी:

  1. तेरी उर धड़कन ने मुझसे जीवन के प्रति-क्षण मागे थे


    --बढ़िया भाव हैं.

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