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मंगलवार, 27 जनवरी 2009

मै किसको.....................

मै किसको अब यह बुलाऊँ

टूटे तरू पतों के जैसा
मूक पड़ा मै अविचल कैसा

अपने ही हाथो से घायल,हो बैठा यह किसे बताऊँ

मेरे मौंन रुदन से होती
भंग निशा की यह नीरवता

सुन ताने प्रहरी उलूक के ,मै जी भर कर रो न पाऊँ

मेरा कौन यह जो आये
आ मेरे दुःख को बहलाये

खुद अपना प्रदेश कर निर्जन,क्यू अपनो की आस लगाऊँ
विक्रम

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