ऑस जब बन बूँद बहती, पात का कम्पन ह्रदय मे छा रहा है
नीर का देखा रुदन किसने यहां पे ,पीर वो भी संग ले के जा रहा है
लोग जो हैं अब तलक मुझसे मिले ,शब्द से रिश्तो में अंतर आ रहा है
अर्थ अपने जिन्दगी का ढूँढ़ने में, व्यर्थ ही जीवन यहाँ पे जा रहा है
इन उनीदी आँख के जब स्वप्न टूटे,दर्द में सुख बोध छिपता जा रहा है
तोड़ कर जब दायरे आगे बढ़ा,शून्य में पथ ज्ञान छिनता जा रहा है
प्रश्न बनके कल तलक था सामने,आज वो उत्तर मुझे समझा रहा है
अब अधेरी रात में भी दूर के,दीप का जलना ह्रदय को भा रहा है
vikram
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंइन उनीदी आँख के जब स्वप्न टूटे,दर्द में सुख बोध छिपता जा रहा है
तोड़ कर जब दायरे आगे बढ़ा,शून्य में पथ ज्ञान छिनता जा रहा है
BAHOT HI BAARIK NAZAR....AR SUNDAR KHAYAALAAT KE SAATH LIKHI GAYEE HAI...DHERO BADHAYEE
जवाब देंहटाएंARSH
इन उनीदी आँख के जब स्वप्न टूटे,दर्द में सुख बोध छिपता जा रहा है
जवाब देंहटाएंतोड़ कर जब दायरे आगे बढ़ा,शून्य में पथ ज्ञान छिनता जा रहा है
भाव बहुत अच्चे है ......सुंदर लिखा है