दिनांक १.२.२०१० को इलाहाबाद जाते वक्त व्योहारी के पास मेरी कार सड़क से करीब २५ फीट नीचे गिर जा गिरी। ईश्वर की कृपा से हम लोग बच तो गए,पर मेरी धर्मपत्नी सुमन सिंह को काफी चोट आयी। इस संकट की घड़ी में मै शहडोल जिला प्रशासन का,खासकर एस.डी.एम.श्री राय जी ,एस.डी.ओ.फारेस्ट श्री पांडे जी का सदैव आभारी रहूँगा जिन्होंने अपना भरपूर सहयोग प्रदान किया। पहले अस्वस्थता फिर इस दुर्घटना के कारण लेखन कार्य से दूर रहा .आज फिर अपनी पुरानी रचना प्रकाशित कर रहा हूँ ।
मैं अधेरों में घिरा, पर दिल में इक राहत सी है
जो शमां मैने जलाई ,वह अभी महफिल में है
गम भी हस कर झेलना ,फितरत में दिल के है शुमार
आशनाई सी मुझे ,होने लगी है इनसे यार
महाफिलो में चुप ही रहने की मेरी आदत सी है
मैं....................................................................
एक दर पर कब रुकी है,आज तक कोई बहार
गर्दिशो में हूँ घिरा ,कब तक करे वो इन्तजार
जिन्दगी को मौसमों के दौर की आदत सी है
मैं....................................................................
अपना दामन तो छुडा कर जानां है आसां यहां
गुजरे लम्हों से निकल कर कोई जा सकता कहाँ
कल से कल को जोड़ना भी ,आज की आदत सी है
मैं.....................................................................
बिक्रम
ईश्वर का आशीष है कि सब कुशल है. आपकी पत्नी के शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना.
जवाब देंहटाएंये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
आपके परिवार की सलामती और शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की दुआ करता हूं!
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