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गुरुवार, 26 जनवरी 2012

घर वहाँ.......



हमारे मित्र व उड़िया के जाने माने कवि मनु दाश जी ने गुलज़ार जी की रचनाओं का उडिया भाषा मे रूपांतरण किया है।जिसका नाम है,''झिपी झिपी बरसा''। साथ ही मै मनु दाश जी की लिखी रचना व गुलज़ार जी के साथ उनका चित्र प्रकाशित कर रहा हूँ
  


घर वहाँ
प्रार्थना जहाँ
ईश्वर वहाँ
खामोशी जहाँ
प्रेम वहाँ
अकेलापन जहाँ
मृत्यु वहाँ
पूर्णता जहाँ
मनु दाश जी की कविता उनकी किताब ''खैर अगली बार फिर आऊगी'' से।

9 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ लाइनों में जीवन की सम्पूर्ण सचाई बयाँ की है, बहुत अच्छी रचना

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  2. चंद लाईनों में जीवन का सार छिपा है।

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  3. आभार इन पंग्तियों से रूबरू करने के लिए

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