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शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

मै आवाज तुम्हे जब दूगाँ

मै आवाज तुम्हे जब दूगाँ

तुम   धीरे   से  ,न   कर   देना
कुछ पग चलके,फिर हस देना

बीत गये जो पल सजनी फिर, उनको जैसे मै पा लूगाँ 


मै आवाज तुम्हे जब दूगाँ

कुछ क्षण बाद,चली तुम आना
मृदुल  भाव   से,   देती   ताना

मै विभोर हो तरुणाई का,गीत कोई फिर से गा लूगाँ 




मै आवाज तुम्हे जब दूगाँ
 

क्या होता है, नया  पुराना
ऐसे ही तुम साथ निभाना

यादों की झिलमिल चुनरी से,मै श्रंगार तेरा कर दूगाँ

मै आवाज तुम्हे जब दूगाँ



विक्रम

5 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. क्या होता है, नया पुराना
    ऐसे ही तुम साथ निभाना
    यादों की झिलमिल चुनरी से,
    मै श्रंगार तेरा कर दूगाँ,,,,,भावमय उत्कृष्ट पंक्तियाँ ,,,,

    RECECNT POST: हम देख न सके,,,

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

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  4. उत्तम रचना ........
    आपको दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं।

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