Click here for Myspace Layouts

बुधवार, 17 मई 2017

तन्हाई में मै गाता हूँ.....

तन्हाई में मै गाता हूँ

यादों  के  बादल   जब आते
मदिर-मदिर रस हैं  बरसाते

शीतल मंद पवन के संग मै,अक्षय सुधा पीने जाता हूँ

तन्हाई में मै गाता हूँ

ज्वार मदन के जब हैं आते
मादक  सपनें  देकर  जाते

मै भी कुंज,प्रणय उपवन से ,सौरभ सुमनों के लाता हूँ

तन्हाई में मै गाता हूँ

स्वप्न सदा छलने को आते
अंर्तमन  को    हैं   भरमाते

तब करके अंत्येष्टि ह्रदय की ,परम सुखी मै हो जाता हूँ

तन्हाई में मै गाता हूँ

विक्रम

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें