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बुधवार, 17 मई 2017

आ, साथी


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आ, साथी नव वर्ष मनाएं

 बीता कल अलविदा कह गया
 जो भोगा, वह  संग  रह  गया

धन्यवाद उसका भी करके,चिर-वसंत के स्वप्न सजाएं

आ, साथी नव वर्ष मनाएं

स्वागत नूतन वर्ष तुम्हारा
कैसा होगा  साथ हमारा?

दीप नये नव-आशाओं के, आ तेरे संग आज जलाएं

आ साथी नव वर्ष मनाएं

सब कुछ खोकर जीने वाला
जैसे   हो,  कहनें  ही  वाला

अतुल  वेदनाएँ जीवन में, फिर भी  मंगल-गीत लुभाएं

आ, साथी नव वर्ष मनाएं

विक्रम

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