Click here for Myspace Layouts

बुधवार, 17 मई 2017

इन भीगी भीगी पलकों में.....

इन भीगी भीगी पलकों में,खामोश तराना है
सुन  तेरे  मेरे  दिल  का ए,मासूम फसाना है

तुम चुपके से जो आये,मेरी थम सी गई साँसे
तेरे  चंचल   नयनों   में ,  नादान   बहाना   है

देखो चाँद नही आया,अब तुम ही ठहर जाओ
इस रात की शबनम को ,पलकों पे  सजाना है

चाहे थम जाएं ये पल छिन,या सदियां गुजर जाएं
हमें  रश्म  जुदाई  की , इस  जग   से  मिटाना  है

न कल का पता तुझको,न कल से गिला मुझको
अब  तेरे  मेरे अधरों  को ,बस प्रीति निभाना  है

विक्रम

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें