Click here for Myspace Layouts

गुरुवार, 29 जनवरी 2009

आज अधरो............





आज अधरो पर अधर रख
मधुभरी
यह मौन सी शौगात मैने पा लिया है
कल ह्र्दय मे
उस पथिक सी थी विकलता
राह जिसको न मिली हो साझ तक मे
द्वार मे दस्तक लगाने को खडी हो
ले निशा फिर
मौत का जैसे निमन्त्रण
उन पलो मे
सजग प्रहरी सा तुम्हारा आगमन
क्या कहू मै'
वक्त थोडा
शब्द कम है
आज नयनो मे नयन का प्यार रख
मदभरी
यह प्रीत की पहचान मैने पा लिया है

विक्रम

3 टिप्‍पणियां: