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रविवार, 25 जनवरी 2009

मानव.......

मानव ह्रदय में
प्रभुता,सम्पन्नता, योग्यता के ,प्रश्न उभरे

मुख से -ब्राम्हण
बाहु से -क्षत्रिय
जंघा से-वैश्य
पद से ,शूद्र जन्में
योग्यता कर्म की नहीं ,जाति की गुलाम हो गयी
अहम् बढ़ता गया
राम ने शूद्र को फांसी दी
द्रोणाचार्य ने ,एकलव्य का अंगूठा लिया
मुख ,बाहू,जंघा ने
पैर को गौण बना दिया
पैर डगमगा गए
देखिए,सब अपनी औकात मे आ गये
vikram

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