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बुधवार, 14 जनवरी 2009

थे जब तक दिल मे तुम मेरे...............

थे जब तक दिल मे तुम मेरे, न दर्दो के ये साये थे
गुलों में खार होते हैं, न तब तक जान पाये थे

मुझे न चाहने का गम , नही इतना सताता हॆ
रकीबों से गले लगना,यही पल-पल रुलाता हॆ

तडफ कर हम इधर रोये, उधर तुम मुस्कुराये थे
गुलो में खार होते हैं, न तब तक जान पाये थे

कोई शिकवा नही फिर भी, मुझे इतना ही कहना हॆ
दुआ के हाथ कातिल थे ,यही गम मुझको सहना हॆ

गमों से इश्क करने की , नही हम सोच पाये थे
गुलो में खार होते हैं , न तब तक जान पाये थे

विक्रम

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