रात के अन्धेरे में
मै
अपने दर्द को
हौले-हौले थपथपा के सहला के
सुलाने का प्रयास करता रहा
और तेरी यादें
किसी नटखट बच्चे की तरह
आ-आकर
न उसे सोने देती,न मुझे सुलाने देती
मै चिडचिडाता हूँ,बिगडता हूँ
पर सच तो यह है
मै
अपने आप को,यह समझा नहीं पाता हूं
कि मेरा दर्द और तेरी यादें
अलग-अलग नहीं एक है
तू नहीं तो क्या
मेरे पास
हमारे टूटे घरौदे के
कुछ अवशेष
अभी भी शेष हैं
मै
अपने दर्द को
हौले-हौले थपथपा के सहला के
सुलाने का प्रयास करता रहा
और तेरी यादें
किसी नटखट बच्चे की तरह
आ-आकर
न उसे सोने देती,न मुझे सुलाने देती
मै चिडचिडाता हूँ,बिगडता हूँ
पर सच तो यह है
मै
अपने आप को,यह समझा नहीं पाता हूं
कि मेरा दर्द और तेरी यादें
अलग-अलग नहीं एक है
तू नहीं तो क्या
मेरे पास
हमारे टूटे घरौदे के
कुछ अवशेष
अभी भी शेष हैं
vikram
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस के पुनीत पर्व के अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामना और बधाई .
जवाब देंहटाएंविक्रम जी कविता achchee लिखी है
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें