साथी तुम बन आये मेरे
जीवन काल-प्रबल की क्रीडा
अंत-हीन थी मेरी पीडा
आकर मेरे ह्रदय पटल पर ,आशाओं के चित्र उकेरे
साथी तुम बन आये मेरे
महा-मौंन यह भंग हुआ हैं
मुखर स्वरों में गान हुआ हैं
आज मेरे हर रोम-रोम में ,खुशिया बैठी डाले डेरे
साथी तुम बन आये मेरे
उर-उपवन मेरा महका हैं
हर पल अब मधुमास बना हैं
आज मेरे नयनो ने देखे , सपने मधुर सुनहरे
साथी तुम बन आये मेरे
vikram
भावपूर्ण अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना है.
जवाब देंहटाएंउर-उपवन मेरा महका हैं
जवाब देंहटाएंहर पल अब मधुमास बना हैं
आज मेरे नयनो ने देखे , सपने मधुर सुनहरे
साथी तुम बन आये मेरे
अत्यन्त सुंदर . आपके भावनात्मक स्तर और भावाभिव्यक्ति की क्षमता की दाद देनी पड़ेगी .
बहुत ही सुंदर .
बहुत अच्छी रचना है....
जवाब देंहटाएंइस पूरी कविता में शब्द और भाव का साहचर्य उल्लेखनीय है.
जवाब देंहटाएंऐसा लिखा देखता हूं, लगता है-अपना हमराह मिल गया .
आप सभी का बहुत वहुत धन्यवाद
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