आ फिर राग बसंती छेड़े
है विहान भी रंग ,रंगीला
मलय पवन का राग नशीला
शरमाई सी मुझको तकती,तेरे नयनों को अब छेड़े
आ फिर राग बसंती छेड़े
कितने मधु-रितु ,साथ पुराना
सुखद बहुत ये ,साथ निभाना
तेरे मदमाते अधरों के,जाम अभी भी मुझको छेड़े
आ फिर राग बसंती छेड़े
ईश विनय, मन करे हठीला
बना रहे यह साथ,सजीला
तेरे मेरे मन उपवन में,तान बसंती कोयल छेड़े
आ फिर राग बसंती छेड़े
vikram
वाह ! वाह ! वाह !
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर अभिव्यक्ति !!...वाह !
इस गरमी के मौसम में
जवाब देंहटाएंपसीने की दुर्गंध के बीच
इस गीत से निकली
वासंती बयार ने
तन और मन, दोनों को
प्रणय की सुगंध से महका दिया!