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शुक्रवार, 29 मई 2009

अल्ला मेघ दे...........







अल्ला मेघ दे पानी दे, जीवन कर धानी ,मौला मेघ दे
इक जिन्दगानी दे कोई कहानी दे,कोई कहानी,अल्ला मेघ दे
नयनों के कोर सूखे
आँचल के छोर सूखे
मन के चकोर छूटे
आशा की डोर टूटे

मन को पीर दे नीर दे, नीर दो खारे,अल्ला मेघ दे

तरुवर के पात जैसे
मेरे हैं गात वॆसे

कोई पतझड आये

जीवन निधि ले न जाये
इसको प्यास दे आश दे ,बोल दो प्यारे, अल्ला मेघ दे

पनघट मे शाम जायें


फिर भी कोई न आये

पंछी बिन गीत गाये

मेरे अंगना से जाये

इसको रीत दे सीख दे गीत दो प्यारे,अल्ला मेघ दे
ममता के दे वो साये

दिल में जो आश जगाये

नन्ही किलकारी भाये

गोदी छुप मुझे सताये

ऎसी हूक दे कूक दे पीक कुंआरे, अल्ला मेघ दे

vikram

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्या यह दूसरा मेधदूतम है…
    काफी गंभीर प्रस्तुतिकरण्…
    बहुत अच्छा लगा… प्रत्येक पंक्ति में भाव
    रच दिये हैं… आपने।

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