जब हम कुछ दिन बाद मिले थे
मेरी प्रतीक्षा मे तुम रत थे
नयन तेरे कितने विह्वल थे
एक-दूजे को देख हमारे मन, मे कितने दीप जले थे
मै आया जब पास तुम्हारे
कम्पित तन-मन हुये हमारे
अपलक तक नयनो से मुझको ,तुमने कितने प्रश्न किये थे
क्षण भर का एकांत देख कर
वक्ष-स्थल से मेरे लग कर
तेरी उर धड़कन ने मुझसे जीवन के प्रति-क्षण मागे थे
विक्रम
मेरी प्रतीक्षा मे तुम रत थे
नयन तेरे कितने विह्वल थे
एक-दूजे को देख हमारे मन, मे कितने दीप जले थे
मै आया जब पास तुम्हारे
कम्पित तन-मन हुये हमारे
अपलक तक नयनो से मुझको ,तुमने कितने प्रश्न किये थे
क्षण भर का एकांत देख कर
वक्ष-स्थल से मेरे लग कर
तेरी उर धड़कन ने मुझसे जीवन के प्रति-क्षण मागे थे
विक्रम
बहुत ही सुन्दर रचना है...बिलकुल मन को छू लेने वाली
जवाब देंहटाएंSundar bhaav...sundar rachna...
जवाब देंहटाएंमन को सुकून पहुंचाने वाली रचना ।
जवाब देंहटाएंसुन्देर रचना के लिये आभार्
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