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रविवार, 2 अगस्त 2009

कितना कठिन मिलन हैं साथी.......

कितना कठिन मिलन हैं साथी
रिश्तो का कैसा आडम्बर
जीवन में हैं प्रणय उच्चतर

जग-जीवन के सभी नियंत्रण,तोड़ दिए हैं हमने साथी
कितना कठिन मिलन हैं साथी
हम अब सारे भय तज करके
एक-दूजे के लय में बह के
अतुल प्यार से इस जगती में,ला देगे परिवर्तन साथी
कितना कठिन मिलन हैं साथी
जीवन के क्याँ जन अधिकारी
चिर-संगी तू बनी हमारी
मनुज नहीं देवो के सन्मुख किया मांग सिंदूरी साथी

vikram

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर...रिश्तो का कैसा आडम्बर

    जवाब देंहटाएं
  2. एक-दूजे के लय में बह के
    अतुल प्यार से इस जगती में,ला देगे परिवर्तन साथी
    ==
    सुन्दर और भावमय रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. कितना कठिन मिलन हैं साथी...
    वाह ...पसंद आई

    जवाब देंहटाएं
  4. bahut hi gaharaii me uatarati huee rachana ......yahi sahi hai ....yah kaisa aadmbar

    जवाब देंहटाएं