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रविवार, 2 अगस्त 2009

द्वन्द एक चल रहा..........

द्वन्द एक चल रहा रहा
रक्त नीर बह    रहा
कर्म के कराहने से
इक दधीच ढह रहा
क्यूँ अनंत हों नये,छोड़ कर चले  गये
एक बूंद नीर की , दो कली गुलाब की
देह - द्वीप,   जल   रहा
मोह फिर सिमट रहा
कृष्ण - शंख  नाद  से
पार्थ   हैं,  सहम  रहा
प्रश्न बन चले गये, नेह से बिछुड़ गये
एक बूंद नीर की ,दो कली गुलाब की
काल - खंड   थम  रहा
टूट  कर, बिखर   रहा
इस गगन विशाल से
प्रश्न   कौन  कर  रहा
नम नयन छलक गये, भीरू-भीत बन गये
एक  बूंद  नीर  की,  दो   कली  गुलाब   की
तम अमिट बना रहा
लेख इक  मिटा  रहा
एक   स्याह   बूंद  से
चित्र  फिर बना  रहा
तुम कही ठहर गये, नीड से बिछुड़
गये
एक बूंद नीर की  दो  कली  गुलाब  की
विधि-विधान रच रहा
मुक्ति   द्वार  गढ़   रहा
आस्था  के   द्वार    से
लौट   कौन  आ   रहा
सुन्दरम सब शिव हुये, सत्य से आहत हुये
एक  बूंद  नीर  की  , दो   कली  गुलाब  की
विक्रम[छोटे भ्राता स्वर्गीय राधवेन्द्र की याद में ,आज उसकी पुण्य तिथि हॆ]

12 टिप्‍पणियां:

  1. कृष्ण-शंख नाद से
    पार्थ हैं सहम रहा
    प्रश्न बन चले गये, नेह से बिछुड़ गये
    एक बूंद नीर की ,दो कली गुलाब की
    सुंदर ।

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  2. वाह! विक्रम जी ,बहुत ही सुन्दर रचना है।पढ़ कर आनंद आ गया।

    लेख इक मिटा रहा
    एक स्याह बूंद से
    चित्र फिर बना रहा
    तुम कही ठहर गये, नीड से बिछुड़ गए
    एक बूंद नीर की दो कली गुलाब की

    जवाब देंहटाएं
  3. विक्रम भाई आपके दुख मे हम सहभागी है . भाई राघवेन्द्र को हमारी श्रद्धांजली . कविता पढकर् एक कवि का मन व्यथित तो होगा ही लेकिन आपकी आशा बलवती है .

    जवाब देंहटाएं
  4. भ्राता स्वर्गीय राघवेन्द्र को हमारी श्रद्धांजली .

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  5. लेख इक मिटा रहा
    एक स्याह बूंद से
    चित्र फिर बना रहा
    तुम कही ठहर गये, नीड से बिछुड़ गए
    एक बूंद नीर की दो कली गुलाब की
    मार्मिक अभिवयक्ति हमारी भी राघवे्न्द्र जी को नमन श्रधाँजली

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  6. Gazab kee laybddhtaa liye hue hai ye rachnaa..aur utnee hee urjaa!

    http://shamasansmaran.blogspot.com

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  7. अति मार्मिक कविता

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  8. क्या लिखा है एकदम संजीदा कर दिया

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  9. इस गगन विशाल से
    प्रश्न कौन कर रहा
    पूरी रचना रचनाधर्मिता का सार्थक उदाहरण
    बहुत सुन्दर

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  10. द्वन्द एक चल रहा रहा
    रक्त नीर बह रहा
    कर्म के कराहने से
    इक दधीच ढह रहा
    मार्मिक और बेहद सुन्दर मन भर आया ,सम्पूर्ण पंक्ति शानदार .

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