स्वप्न से अनुराग कैसा
कल्पनाओं का सफर है
भावनाओ का समर है
है क्षणिक उन्माद नयनों का,नही ये सत्य जैसा
स्वप्न से अनुराग कैसा
विषमताओं से भरा है
ह्रदय को इसने छला है
नीद के हाथो विनिर्मित ,गीत का यह भाव कैसा
स्वप्न से अनुराग कैसा
भाग्य कब इससे बना है
कर्म न इससे जनां है
है क्षणिक सी जिन्दगी में,स्वप्न तो मृदुहास जैसा
स्वप्न से अनुराग कैसा
vikram
Swapn se nahee to kisse anuraag ho?
जवाब देंहटाएंhttp://shamasansmaran.blogspot.com
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स्वप्न से अनुराग कैसा
जवाब देंहटाएंभाग्य कब इससे बना है
कर्म न इससे जनां है
है क्षणिक सी जिन्दगी में,स्वप्न तो मृदुहास जैसा
स्वप्न से अनुराग कैसा
नामुराद मन समझे तब न .....
बहुत सही अभिव्यक्ति 'स्वप्न तो स्वप्न है उससे अनुराग कैसा'
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने !
जवाब देंहटाएंविक्रम जी,
जवाब देंहटाएंस्वपन,
शायद जीवन में आशा संचरण है उससे अनुराग, विराग कैसा
बहुत ही अच्छा भाव भरा गीत, बिल्कुल क्लासिकला अंदाज में।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
है क्षणिक सी जिन्दगी में,स्वप्न तो मृदुहास जैसा
जवाब देंहटाएंस्वप्न से अनुराग कैसा
bahut hi sundar rachana ....
है क्षणिक सी जिन्दगी में,स्वप्न तो मृदुहास जैसा
जवाब देंहटाएंस्वप्न से अनुराग कैसा
VIKRAM JI......EK BEHAD LAJAWAAB AUR SUNDAR GEET HAI AAPKI YE RACHNA....SACH MEIN JEEVAN TO EK LAMHA HI HAI..... FIR SWAPN SE ANIRAAG KYO KARTA HAI MANUSHY...
गीत सी लय में बहती सुंदर कविता.
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