तिमिर बहुत गहरा होता है
रात चाद जब नभ मे खोता
तारों की झुरुमुट मे सोता
मेरी भी बाहों मे कोई,अनजाना सा भय होता है
यादों के जब दीप जलाता
छुप गोदी मे मॆ सो जाता ,शून्य नही देखो आता है
कही नीद की मदिरा पाता
पी उसको हर आश भुलाता
रक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है
विक्रम [पुन:प्रकाशित]
रक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है...
जवाब देंहटाएंक्या बात कही ..वाह ! वाह ! वाह !
मन को मुग्ध करती अतिसुन्दर रचना सदैव की भांति......
यादों के जब दीप जलाता
जवाब देंहटाएंउतना ही है तम गहराता
बहुत खूब सुन्दर रचना
रक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
Bahut sundar kavita..raat ki gahraai ka ehsaas karata hua..badhayi
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत भाव और शब्द .........
जवाब देंहटाएंरक्त नयन की जल धारा को,
जवाब देंहटाएंजग कैसे कविता कहता है
वाह भाई वाह, क्या बात कही है?
अब तो आपने इतने गहरे भावों की बेहतरीन कविता पढ़ा कर भी बांध दिया न हमें की इसे कविता कसे कहें.......
बहुत बहुत ....... अब आगे भी कुछ लिखने के पहले सोचना पड़ेगा, कही इस पर भी प्रश्न चिन्ह न लग जाये?
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
यादों के जब दीप जलाता
जवाब देंहटाएंउतना ही है तम गहराता.........
यादें तो ऐसी ही होती हैं ....... मन को तरसाती हैं ...... सुन्दर भाव और सुन्दर बोल हैं आपकी रचना के ....
रक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..!!
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंरक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है
जवाब देंहटाएंयादों का सुन्दर चित्रण एक एक शब्द से झलकता है अ\
रक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है
इन शब्दों मे विरह् वेदना को कैसे जीया है सुnन्दर रचना शुभकामनायें
तिमिर बहुत गहरा होता है
जवाब देंहटाएंरात चाद जब नभ मे खोता
तारों की झुरुमुट मे सोता
मेरी भी बाहों मे कोई,अनजाना सा भय होता है
bahut sundar
Bahut hee sunder. Antim do panktiyan to kamal.
जवाब देंहटाएं"रक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है"
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना . बधाई !!!
वाह अपने पुराने पुरकशिश अंदाज मे आपको देख कर फिर खुशी हुई..
जवाब देंहटाएंरक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है
जग कहे न कहे मगर हम तो कविता ही कहेंगे उसे..और वो भी इतनी मधुर की दिल ले ले..बार बार गुनगुनाने को जी चाहे.
मगर बड़ा लम्बा गैप रहा इस बार..उम्मीद करता हूँ कि तबियत इसकी वजह नही रही होगी.
जवाब देंहटाएंरात चाद जब नभ मे खोता
जवाब देंहटाएंतारों की झुरुमुट मे सोता
मेरी भी बाहों मे कोई,अनजाना सा भय होता है
वाह......!!
रक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है
इस पंक्ति ने तो लाजवाब कर दिया .....बहुत सुंदर रचा है विक्रम जी .....बधाई ....!!
रक्त नयन की जल धारा को, जग कैसे कविता कहता है
जवाब देंहटाएंYe panktiyaan khas taur par bahut achchi lagin.Shubkamnayen.
happy diwali jagmagate raushni ke saath .
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