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मंगलवार, 15 जून 2010

दिलीप जी ने कल अपनी टिप्पणी में कहा" kalam bhi chalaate rahiye sir... " चाहता तो मै भी यही हूँ,पर यह स्वास्थ साथ ही नही दे रहा। न कुछ लिख पाता हूँ,न दूसरो के ब्लॉग ही देख पाता हूँ। अपनी पुरानी दो लाइनो के माध्यम से यही कहूगा......

अर्थ हीन सम्वादों का सिलसिला
मै तोडना नही चाहता
शायद इसी बहाने
मै तुम्हे छोडना नही चाहता


विक्रम

5 टिप्‍पणियां: