जीवन का सफर चलता ही रहें ,चलना हैं इसका काम
कहीं तेरे नाम ,कहीं मेरे नाम ,कहीं और किसी के नाम
हर राही की अपनी राहे, हैं अपनी अलग पहचान
मंजिल अपनी ख़ुद ही चुनते, पर डगर बडी अनजान
खो जाती सारी पहचाने, जो किया कहीं विश्राम
कहीं तेरे नाम ,कहीं मेरे नाम ,कहीं और किसी के नाम
इन राहों में मिलते रहते,कुछ अपने कुछ अनजान
हर राही के आखों में सजे कुछ सपने कुछ अरमान
सपनों से सजी इन राहों में, कहीं सुबह हुयी कहीं शाम
कहीं तेरे नाम कहीं मेरे नाम कहीं और किसी के नाम
vikram [पुन:प्रकाशित]
waah bahut khoob..kalam bhi chalaate rahiye sir...
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंखो जाती सारी पहचानें, जो किया विश्राम ..
जवाब देंहटाएंअसरदार रचना
सुन्दर
बहुत बढ़िया!
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