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मंगलवार, 10 जनवरी 2012

हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई ....




 हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई

ब्लॉग जगत में जबसे आया
कुछ न कुछ लिखता ही आया

मन आनन्दित हो जाता है,जब कोई टिप्पणी मिल गई 

हाय टिप्पणी व्यथा बन गई 

कविता,गीत,लेख,लिख पाता
सौ-सौ  बार ब्लॉग पर जाता   

एक टिप्पणी  ढूढ़ रहा हूँ ,गैरो की दस बीस हों गई


हाय ,टिप्पणी व्यथा बन गई


जिन ब्लागों पर मै हूँ  जाता
और टिप्पणी करके आता

गणना उनकी करता रहता ,बीस किया उन्नीस मिल गई


हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई
 
विक्रम

28 टिप्‍पणियां:

  1. विक्रम जी,..सच्चाई यही है,२० कमेंट्स करो तो १५ कमेंट्स मिलते है,अपने ब्लॉग जगत में कुछ पुराने ब्लोगेर है मै नाम नही लेना चाहता वो दूसरों से उम्मीद रखते है कमेंट्स की लेकिन कमेंट्स लौटाने में अपनी तौहीन समझते है जब जकी फर्ज बनता है नये ब्लोगरों कमेंट्स देकर हौसला बढाए,जब कि सच्चाई ये है उनसे कहीं अच्छा नए ब्लोगर लिखते है,ऐसे ब्लोगरों को जो(कमेंट्स नही लौटाते)उनके लिए बहुत सुंदर व्यगं....बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन रचना,..पसंद आई
    welcom to new post --"काव्यान्जलि"--

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  2. ऐसे ब्लोगरो के लिये मेरी सलाह है जो कमेंट्स वापिस न देने के पक्ष में है,वो अपने कमेंट्स ही बंद कर दे या कमेंट्स बाक्स ऊपर साफ़ तौर पर लिख दे,कि मुझसे "कमेंट्स की उम्मीद न रखे"

    जवाब देंहटाएं
  3. विक्रम जी , बहुत से ब्लोगर कुछ इसी तरह की व्यथा से दो चार हो रहे हैं ,मगर आप टिप्पणी की
    गिनती पे मत जाइये . आपकी पोस्ट की उचित व्याख्या वाली एक टिप्पणी ही २० के बराबर होती है. इसलिए मुझे तो वो टिप्पणी सबसे अच्छी लगती है जिसमे मेरी रचना का पोस्टमार्टम किया जाता है .
    यानि रचना में की गई गलतियों की व्याख्या या उचित लाइन या शब्दों पर दी गई दाद ही सही मायने में एक सही टिप्पणी है .

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय धीरेन्द्र भाई साहब
    ये रचना खुद की आदत पर ,न कि किसी पर व्यंग .
    ब्लॉग लेखन विचारों की अभिव्यक्ति का एक जरिया मात्र है. जहाँ अपनी बात कहनें के अलावा दूसरो को जाननें व उनके विचारों से अवगत होने का हमें अवसर मिलाता है..
    प्रभावशाली अभिव्यक्ति को प्रचार की आवश्यकता नही होती,कबीर व सूरदास जी इसके उदाहरण हैं. ब्लॉग जगत में हिन्दी पाठकों की संख्या कम है.साथ ही अच्छे लेखन को सही मंच का जरिया भी उपलब्ध नही है . आपकी रचनायें मैं बराबर पढ़ता हूँ,आप का लेखन काफी गंभीर व समाज की ज्वलंत समस्या पर आधारित होता है, वैसे परम्पराओं का निर्वहन भी जरूरी है.
    राजपूत जी , आपके कथन से सहमत हूँ कि...
    "रचना में की गई गलतियों की व्याख्या या उचित लाइन या शब्दों पर दी गई दाद ही सही मायने में एक सही टिप्पणी है"
    आइये हसते मुस्कराते टिप्पणी का क्रम जारी रखें .

    जवाब देंहटाएं
  5. विक्रम जी,..मैंने जो भी लिखा है,वह आम सभी ब्लोगरो की दिली भावनाओं की बात को व्यक्त किया है,अगर मेरी बातों सच्चाई है तो तुम्हे खुद ही तुम्हारा कमेंट्स बाक्स बता देगा,....अगर मेरी बात सच निकले,तो मुझे बधाई जरूर देना

    जवाब देंहटाएं
  6. मजेदार रचना।
    वैसे मुझे राजपूत जी की टिप्‍पणी सबसे बेहतर लगी।
    कर्म किए जा फल की चिंता मत कर।
    वैसे मेरे ब्‍लाग में आने के लिए शुक्रिया।
    लो जी, मैंने टिपिया भी दिया और आपको फालो भी कर लिया।

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  7. अतुल जी ,धन्यवाद आपका
    अनुपमा जी,अति सारगर्भित और इस रचना के योग्य टिप्पणी के लिये,आपका आभारी हूँ.

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  8. टिप्पणियों की तो यही कहानी है

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  9. आदरणीय विक्रम भाई,
    बहुत रोचक व्यथा है...,
    इस पर बहुत सुन्दर चर्चा भी हो रही है टिप्पणियों में... आदरणीय राजपूत जी की बात से बिलकुल सहमत पाता हूँ स्वयम को...

    सादर.

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  10. Abla tippni hai Teri yahi kahani
    Ek me dagi tab hi dooje ki hai Aani...

    Majedar haasy se bharpoor ....

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  11. बहुत बढ़िया, शानदार और मज़ेदार लगा! सुन्दर प्रस्तुती!

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  12. मजेदार रचना,सारे ब्लॉगर के दिल की बात

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  13. आदरणीय विक्रम जी,
    बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति

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  14. उम्मीद करता हूँ ,जल्द ही नार्मल हो जाओगे बंधु !

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  15. blog jagat kisi bhi mudde ko rehne nahi deta...ab tippani par bhi kavita...kya kehne....

    main to yahi kahunga

    jyada tippani karte nahi, jyada paate nahi
    par ye jaroor hai, kuch bhi padhne se khud ko rok paate nahi:-):-)

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  16. सच है जी और इस तरह गणना करने पर सबसे ज्यादा क्लिक अपना ही हो जाता है...
    मैं भी इस रोग से पीड़ित हूँ...

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  17. SIR.. tippani ki chinta na kar likhate jayega...ha ha ha.. blog se judne ke liye ati abhar..

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  18. यह तो हमारी कहानी लिख दी भाई ....

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  19. ब्लॉगर के दिल की बात...मज़ेदार्

    शुभकामनओं के साथ
    संजय भास्कर

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  20. बहुत ही रोचकता से अपने मन की बात लिखी है ...!!
    बढ़िया रचना ...

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