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बुधवार, 18 जनवरी 2012

तन्हाई में मै गाता हूँ.......


तन्हाई में मै गाता हूँ

यादों  के  बादल   जब  आते
मदिर-मदिर रस हैं  बरसाते

शीतल मंद पवन के संग मै,अक्षय सुधा पीने जाता हूँ

तन्हाई में मै गाता हूँ

ज्वार मदन के
जब हैं आते
मादक  सपनें  देकर  जाते

मै भी कुंज,प्रणय उपवन से ,सौरभ सुमनों के लाता हूँ

तन्हाई में मै गाता हूँ

स्वप्न
सदा छलने को आते
अंर्तमन  को    हैं   भरमाते

तब करके अंत्येष्टि ह्रदय की ,परम सुखी मै हो जाता हूँ

तन्हाई में मै गाता हूँ

विक्रम





15 टिप्‍पणियां:

  1. स्वप्न सदा छलने को आते
    अंर्तमन को हैं भरमाते

    behtareen abhivyakti

    जवाब देंहटाएं
  2. तब करके अंत्येष्टि ह्रदय की ,परम सुखी मै हो जाता हूँ
    वाह ! खुबसूरत अल्फाज
    बहुत सुन्दर रचना

    सुचना -> आपका ब्लॉग ओपन होने में काफी टाइम लगता है , सायद ग्राफिक्स की वजह से .

    जवाब देंहटाएं
  3. आपके हर गीत को गा कर आनंद आता है। ऐसी प्रवाहमयी रचनाएं अब बीते दिनों की बात हो गई है।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,बेहतरीन उम्दा पोस्ट
    welcome to new post...वाह रे मंहगाई

    जवाब देंहटाएं
  5. स्वप्न सदा छलने को आते
    अंर्तमन को हैं भरमाते

    तब करके अंत्येष्टि ह्रदय की ,परम सुखी मै हो जाता हूँ

    ....बहुत खूब! बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  6. यादों के बादल जब आते
    मदिर-मदिर रस हैं बरसाते ...

    बहुत खूब ... यादों के बादल कुछ नयी यादें बना जाते हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर गीत ,भावपूर्ण अच्छी रचना,..
    WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....

    जवाब देंहटाएं
  8. रचना बहुत अधिक यह सुन्दर,
    अंतरमन में उतर गई है।
    कृपया इसे भी पढ़े
    क्या यही गणतंत्र है

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  9. मैं तन्हाई में गाता हूँ .....
    इस लिए कि

    तू ख्याब हैं अब भी मेरे लिए
    तेरे ही गीत अब भी गुनगुनाता हूँ ...अनु

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत अच्छा लिखते हैं, आभार

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