तन्हाई में मै गाता हूँ
यादों के बादल जब आते
मदिर-मदिर रस हैं बरसाते
शीतल मंद पवन के संग मै,अक्षय सुधा पीने जाता हूँ
तन्हाई में मै गाता हूँ
ज्वार मदन के जब हैं आते
मादक सपनें देकर जाते
मै भी कुंज,प्रणय उपवन से ,सौरभ सुमनों के लाता हूँ
तन्हाई में मै गाता हूँ
स्वप्न सदा छलने को आते
अंर्तमन को हैं भरमाते
तब करके अंत्येष्टि ह्रदय की ,परम सुखी मै हो जाता हूँ
तन्हाई में मै गाता हूँ
विक्रम
Badee hee sundar rachana!
जवाब देंहटाएंस्वप्न सदा छलने को आते
जवाब देंहटाएंअंर्तमन को हैं भरमाते
behtareen abhivyakti
तब करके अंत्येष्टि ह्रदय की ,परम सुखी मै हो जाता हूँ
जवाब देंहटाएंवाह ! खुबसूरत अल्फाज
बहुत सुन्दर रचना
सुचना -> आपका ब्लॉग ओपन होने में काफी टाइम लगता है , सायद ग्राफिक्स की वजह से .
आपके हर गीत को गा कर आनंद आता है। ऐसी प्रवाहमयी रचनाएं अब बीते दिनों की बात हो गई है।
जवाब देंहटाएंखुबसूरत गीत
जवाब देंहटाएंश्रृंगार रस से ओत-प्रोत रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,बेहतरीन उम्दा पोस्ट
जवाब देंहटाएंwelcome to new post...वाह रे मंहगाई
सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंगहरे भाव।
स्वप्न सदा छलने को आते
जवाब देंहटाएंअंर्तमन को हैं भरमाते
तब करके अंत्येष्टि ह्रदय की ,परम सुखी मै हो जाता हूँ
....बहुत खूब! बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...
बहुत ही मीठा गीत
जवाब देंहटाएंयादों के बादल जब आते
जवाब देंहटाएंमदिर-मदिर रस हैं बरसाते ...
बहुत खूब ... यादों के बादल कुछ नयी यादें बना जाते हैं ...
बहुत सुंदर गीत ,भावपूर्ण अच्छी रचना,..
जवाब देंहटाएंWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
रचना बहुत अधिक यह सुन्दर,
जवाब देंहटाएंअंतरमन में उतर गई है।
कृपया इसे भी पढ़े
क्या यही गणतंत्र है
मैं तन्हाई में गाता हूँ .....
जवाब देंहटाएंइस लिए कि
तू ख्याब हैं अब भी मेरे लिए
तेरे ही गीत अब भी गुनगुनाता हूँ ...अनु
बहुत अच्छा लिखते हैं, आभार
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