अन्ना जी के सम्बन्ध में नवभारत के मेरे ब्लॉग में अन्ना समर्थको की कुछ टिप्पणियों आई हैं,
अन्ना निश्चय कर लें, वह क्या चाहते हैं!
विक्रम सिंहअन्ना को यह समझना चाहिए,की देश की जनता भ्रष्टाचार से परेशान है,और अन्ना नें उसका लाभ लेकर दिशाहीन आन्दोलन व सस्ती लोकप्रियता हासिल करनें का प्रयास किया , अन्ना कहते हैं,अगले लोकसभा चुनाव में जनता को जागृत करेगें युवाओं को चुनाव लड़ाएँगे ,किसी पार्टी का नाम नही लेगें,साथ ही काग्रेस के खिलाफ बातें करतें है.लोकपाल लोकसभा में वह अपनी शर्तो पर पास कराना चाहते है,सरकार का अंग न होते सरकार को अपनें इशारे पर चलाना चाहते हैं. क्या यह तानाशाही का प्रतीक नहीं है.
अन्ना को यह गलतफहमी हैं की देश की जनता उनके साथ है. उनके समर्थन में कितनें लोग सामनें आये ,इस एक अरब आबादी वाले देश में वह खुद अंदाजा लगा लें?अगर मीडिया अन्ना को इतना प्रचारित न करे तो पचास आदमी भी न आयें. शुरू में लोगो में आशा का संचार हुआ था,पर विवेकहीन तर्कों रोज तथ्य हीन बयानों नें जनता के बीच अन्ना की कलई खोल कर रख दी हैं. गांधीवादी विचारधारा का खुला दुरप्रयोग गाधीवादी बन कर अन्ना नें ही किया है. प्रचार के लिये लालाइत लोगो की भीड़ में उन्हें अपनें लिये देश की जनता का समर्थन दिख रहा है,अगर देश की जनता को जागृत करनें में अन्ना टीम कामयाब होती तो अभी तक सारे भ्रटाचारी जेल में होते,सरकार सत्ता से बाहर ,साथ ही सत्ता ईमानदार लोगो के हाथो में. यह तब होता जब अन्ना जंतर-मंतर में बैठने की बजाय ईमानदारी के साथ जनता के बीच जाकर सीधा संवाद स्थापित करते.
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छांटें: सबसे नया | सबसे पुराने | पाठकों की पसंद (52) | सबसे ज्यादा चर्चित | लेखक के जवाब (26) April 15,2012 at 10:47 AM IST
लेख से भी बेहतरीन जवाब,ऐसे जवाब जो पढने वाले के मन मे आप के लिये इज्जत् के भाव पैदा कर दे,व आप की योग्यता का मुरीद हो जये.विरजु जी ने सही कहा समाज मे कभी भी जीनियस की पहचान उसके रहते नही की,कवि भी आप बेहतरीन हो,एक एक रचनाएँ संकलन के योग्य . ओर इस बुद्धजीवी समाज मे उसका कोई मूल्य नही''वह सुनयना थी'' कविता मुझे रुला गई,उसे किसी ने नही पढा,न ही कमेंट्स दिये
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April 14,2012 at 11:35 AM IST
@ बिरजू साहब, बेहतर होगा कि आप मेरे बी जे पी प्रेम की अपनी बातो के समर्थन मे मेरे कॉमेंट्स के कुछ लिंक्स सामने रख कर मेरे मूह पर फेक कर मारिए ताकि आपकी बातो के दावो की सच्चाई सबके सामने आ सके और बाकी पाठक भी मेरी असलियत से रु-ब-रु हो सके ...बहरहाल अपने कॉमेंट का एक लिंक आपके सामने रख रहा हू शायद दिमाग़ मे कुछ आ जाए (वैसे निजी तौर पर मुझे इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नही है :))
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/total-change/entry/%E0%A4%B2-%E0%A4%B2%E0%A4%95-%E0%A4%B7-%E0%A4%A3-%E0%A4%86%E0%A4%A1%E0%A4%B5-%E0%A4%A3-%E0%A4%86-%E0%A4%A0-%E0%A4%B5-%E0%A4%86%E0%A4%B6-%E0%A4%9A%E0%A4%B0-%E0%A4%AF
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/total-change/entry/%E0%A4%B2-%E0%A4%B2%E0%A4%95-%E0%A4%B7-%E0%A4%A3-%E0%A4%86%E0%A4%A1%E0%A4%B5-%E0%A4%A3-%E0%A4%86-%E0%A4%A0-%E0%A4%B5-%E0%A4%86%E0%A4%B6-%E0%A4%9A%E0%A4%B0-%E0%A4%AF
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April 11,2012 at 10:44 PM IST
विक्रम जी आप पर किये गये सवाल पर आपका सन्तोष जनक उत्तर पढ कर खुशी हुई ! इतना जवाब देने के बावजूद भी आप अपने बारे मे लगता है कि बहुत कुछ छिपा रहे हो या आपको अपने ऊपर भरोसा नही है आप अपने बारे मे मुझे फोन पर जानकारी देना चाहते हो अगर नही बताना चाहते तो मत बताओ मेरा कोई इन्टेस्ट नही है ! आप किसी को अपने जवाब मे लिखते हो कि अन्ना के प्रथम अनशन के पहले आपके दिनेश शमाँ ने आपको बुलाया था आपने ही उनको माला पहना कर अनशन सफल होने का आपने आशीवाँद भी दिया होगा आपने शमॉ जी से अन्ना अनशन क्यों कर रहे है जानकारी नही की थी उनके समथॅक को अपना समथॅन देकर अनशन की शुरूवात करवायी थी !
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April 12,2012 at 08:56 AM IST
10 अप्रैल 2012 10:59 am
ब्लॉगर dheerendra ने कहा…
विक्रम जी,...मैंने आपके लेख को अच्छी तरह से पढ़ा और सभी टिप्पणियों को जबाब सवाल पढे,पढकर इस निष्कर्ष में पहुचा,कि आपके आलेख को लोग ठीक तरह से नही समझ सके,उसमे सोनियाजी और कांग्रेस कहाँ से आ गई,अन्ना जी ने शुरू में गांधीगीरी के नक्से कदम पर जो शुरुआत की
वह तारीफे काबिल था,किन्तु जैसे२ अन्ना जी के साथ "मुह में राम बगल में छूरी"स्वभाव वाले लोग जुड़ते चले गए,तबसे उनके मिशन में ठहराव सा दिखने लगा,उसका उदाहरण दिल्ली के अनसन में लाखों लोग शामिल हुए थे,वही बाद के मुंबई के अनशन २० हजार लोग भी नही जुड पाए,एक ताजा उदाहरण,लोकपाल बिल पर मुलायम सिंह ने सदन में खुले आम विरोध किया था,अन्नाजी ने लोकपाल के विरोधियों को वोट न देने की अपील की थी,इसके वावजूद मुलायम सिग की सरकार पुर्ण बहुमत से बन गई
इसी तरह से उतरांचल भाजपा ने अन्ना जी के मुताबिक़ बिल पास कर दिया,तो वहाँ भाजापा की
सरकार बदलकर कांग्रेस की सरकार बन गई,..
इससे साफ़ जाहिर होता है,कि अन्ना की बातों को लोगों ने तरहीज देना कम कर दिया है,..
जहां तक मेरा मानना है,भ्रष्टाचार कभी समाप्त नही हो सकता,जबतक आम आदमी नही बदलेगा,
अन्ना जी को चाहिए,अपनी बात आम आदमी तक पहुचाए,उनकी मानसिकता बदले,क़ानून बन जाने से भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा,अगर ऐसा होता तो,हत्या,बलात्कार,चोरी,डकैती,न होती,..
भ्रस्टाचार समाप्त करना है तो समर्पित भाव से हम आप सभी को संकल्प लेना होगा,..नही तो अन्ना जी अनशन करते रहेगें,माध्यम वर्ग के भ्रष्टाचारी लोग अनशन की भीड़ बढाते रहेगें,...
11 अप्रैल 2012 12:01 pm
ब्लॉगर dheerendra ने कहा…
विक्रम जी,...मैंने आपके लेख को अच्छी तरह से पढ़ा और सभी टिप्पणियों को जबाब सवाल पढे,पढकर इस निष्कर्ष में पहुचा,कि आपके आलेख को लोग ठीक तरह से नही समझ सके,उसमे सोनियाजी और कांग्रेस कहाँ से आ गई,अन्ना जी ने शुरू में गांधीगीरी के नक्से कदम पर जो शुरुआत की
वह तारीफे काबिल था,किन्तु जैसे२ अन्ना जी के साथ "मुह में राम बगल में छूरी"स्वभाव वाले लोग जुड़ते चले गए,तबसे उनके मिशन में ठहराव सा दिखने लगा,उसका उदाहरण दिल्ली के अनसन में लाखों लोग शामिल हुए थे,वही बाद के मुंबई के अनशन २० हजार लोग भी नही जुड पाए,एक ताजा उदाहरण,लोकपाल बिल पर मुलायम सिंह ने सदन में खुले आम विरोध किया था,अन्नाजी ने लोकपाल के विरोधियों को वोट न देने की अपील की थी,इसके वावजूद मुलायम सिग की सरकार पुर्ण बहुमत से बन गई
इसी तरह से उतरांचल भाजपा ने अन्ना जी के मुताबिक़ बिल पास कर दिया,तो वहाँ भाजापा की
सरकार बदलकर कांग्रेस की सरकार बन गई,..
इससे साफ़ जाहिर होता है,कि अन्ना की बातों को लोगों ने तरहीज देना कम कर दिया है,..
जहां तक मेरा मानना है,भ्रष्टाचार कभी समाप्त नही हो सकता,जबतक आम आदमी नही बदलेगा,
अन्ना जी को चाहिए,अपनी बात आम आदमी तक पहुचाए,उनकी मानसिकता बदले,क़ानून बन जाने से भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा,अगर ऐसा होता तो,हत्या,बलात्कार,चोरी,डकैती,न होती,..
भ्रस्टाचार समाप्त करना है तो समर्पित भाव से हम आप सभी को संकल्प लेना होगा,..नही तो अन्ना जी अनशन करते रहेगें,माध्यम वर्ग के भ्रष्टाचारी लोग अनशन की भीड़ बढाते रहेगें,...
11 अप्रैल 2012 12:01 pm
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April 12,2012 at 08:57 AM IST
माननीय, धन्यवाद,मैने अपना फोन नबर इस लिए दिया था की अभी तक काग्रेस में रह कर आपके मुताबिक़ क्यों झक मारी,उसकी जानकारी दे दूँ .अब इस ब्लॉग के माध्यम अपनें बारे में क्यां बताऊँ/ .हां इतना जरूर बता दूँ की अपने अभी तक के जीवन में गलत का साथ पारिवारिक ,सामाजिक,राजनैतिक स्तर पर नहीं दिया. छुपानें जैसी कोई बात नहीं है, २५ वर्ष की उम्र में पारिवारिक जिम्मेदारी का निर्वाहन करते हुय्र ५८ वर्ष की उम्र पार कर ली है. अपनें इसी स्वभाव की वजह से जहाँ लोगो का सहयोग आज भी मिल रहा है,वही कुछ खोना भी पड़ा है,मगर मलाल नहीं है, राजनीत में रहते हुये,अन्य दलों के लोगो से मेरे अच्छे संबंध है,बैचारिक असमति को कभी व्यक्तिगत लड़ाई में नही बदला. उदाहण स्वरूप सोन नदी जल प्रदूषण के विरोध में काग्रेस की सरकार रहते हुये धरनें में बैठा ,तो तत्कालिक मुख्य मंत्री दिग्विजय सिह ने जहाँ बुलाकर चर्चा की,वही भा.ज,पा.के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार साय जी नें खुद धरना स्थल में पहुच कर मेरा धरना तुड़वाया. जिले की सभी राजनैतिक दलों के लोगो ,तथा मीडिया ने साथ दिया .दस हजार से ज्यादा लोगो ने प्रशासन को पत्र लिख कर अपना समर्थन दिया,रही अन्ना के समर्थन की बात ,आन्दोलन की शुरवाती दिनों में उनके विरोध में था ही कौऩ ,यह मै आप से पूछता हूँ .मेरे ब्लॉग में एक टिपण्णी आई है उसे प्रस्तुत कर रहा हूँ,शायद आप उससे कुछ अर्थ निकाल सके,
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April 11,2012 at 06:52 AM IST
१- अन्ना बिरोधी देश का हितैषी कभी नही हो सकता ! २- अन्ना विरौधी देश व देश वासियौ का सबसे बडा दुश्मन ! ३- अन्ना विरोधी देश का सबसे बडा गद्दार ! ४- अन्ना बिरोधी देश का नही काग्रेस की नाजायज औलाद !
५- अन्ना बिरोधी देश का सबसे बडा भॄस्टाचारी !
६- अन्ना बिरोधी अपनी मॉ और बी बी को एक नजर से देख सकता है !
७- अन्ना बिरोधी को इस देश का अन्न जल खाना पीना गो मॉस के बराबर है !
८- अन्ना बिरोधी ही आज तक नही जान पाये कि अन्ना चाहते क्या उनका मकसद क्या है !
९- अन्ना को भृस्टाचारी कभी नही समझ पायेगा !
१०-अन्ना निस्वाथँ भाव से देश की सेवा करने वाला एक सच्चा देश भक्त !
५- अन्ना बिरोधी देश का सबसे बडा भॄस्टाचारी !
६- अन्ना बिरोधी अपनी मॉ और बी बी को एक नजर से देख सकता है !
७- अन्ना बिरोधी को इस देश का अन्न जल खाना पीना गो मॉस के बराबर है !
८- अन्ना बिरोधी ही आज तक नही जान पाये कि अन्ना चाहते क्या उनका मकसद क्या है !
९- अन्ना को भृस्टाचारी कभी नही समझ पायेगा !
१०-अन्ना निस्वाथँ भाव से देश की सेवा करने वाला एक सच्चा देश भक्त !
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April 13,2012 at 08:40 AM IST
ये भाषा क्या इनका चल चलन भी एसा है...असल मे इनको अन्ना से कुछ लेना देना नही...ये अन्ना की तरफ़दारी सिर्फ़ इसलिए कर रहे कोयंकि अन्ना बी जे पी का काम कर रहा है...तो कट्टर हिंदूवादी बी जे पी के लोग अन्ना को सिर पर बेता रहे है...बी जे पी को खुद पता है की अपने बाल बूते पर तो वी सरकार बनाने से रहे...तो वी रामदेव, अन्ना जेसे भाड़े के टट्टु लता है...ये पार्टी शुरू से यही काम कर रही है...और ये बात जनता को पता चले तो अन्ना हो की रामदेव कही आता पता नही चला...कल शाम को ही बेजान दरूवाला ने भविसयवाणी की ही की रामदेव और अन्ना मे दम नही....
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April 13,2012 at 02:01 PM IST
धन्यवाद ,बिरजू जी ,वैचारक मदभेदो का यह अर्थ नहीं की हम अपने लेख के लेखन में या विचार व्यक्त करते वक्त शब्दों की मर्यादा भूल जाये.जिस बौद्धिक अस्तर का प्रदर्शन व भाषा का प्रयोग टिप्पणियों में देखने को मिला उससे दुःख हुआ,. इनमे से कुछ युवा भी होगे,खुद और देश को कौन सी दिशा में में ले जायेगे ? आपसी सहमति से ही समस्या का समाधान निकल सकता है,आक्रोश में आकर या दूसरो को सुने व समझे बगैर अपनी ही बात में अड़े रहे ,तो वास्तविक विषय ,से भटक जायेगें. जिन देशो में आक्रोश में आकर सत्ता परिवर्तन हुये,जब की वहां के सत्ताधारियों ने ही ऐसे हालत पैदा किये थे,की उसके अलावा दूसरे विकल्प बचे ही नहीं थे, आज वे भी व्यवस्था को पटरी में लाने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं . हमारे हालत इतने बदतर नहीं हुये हैं,की हम अपनी समस्याओ को सुलझा नहीं सकते,जरूरत है, आपसी सामंजस्य की. चीन में सरकार व समाज ने आपसी तालमेल से विकास के नये आयाम कायम कर अपनी आर्थिक ,व सैन्य शक्ति को काफी मजबूत कर लिया है,हमें उससे सीख लेने की आवश्यकता है,सरकार व समाज एक दूसरे के अंग है.अगर सरकार में समाज की सोच प्रतिविम्बित न हो,तो वह सरकार,शासन चलाने के योग्य नहीं है,साथ ही समाज को ऎसी सरकार को चुनने की भूल स्वीकार कर ,पुनरावृति से बचना होगा,आन्दोलन के कारणों को सरकार को गंभीरता से समझाना होगा, और आन्दोलन कारियों को भी संबैधानिक दायरे में रह कर अपनी बात कहानी चाहिये ..
April 11,2012 at 01:08 AM IST
विक्रम साहब, आपकी बात को मान कर आपके ब्लॉग्पोस्ट को काफ़ी गंभीरता के साथ पढ़ने के बाद मेरा अपना निष्कर्ष ये है कि "आप एक काफ़ी बेहतरीन कवि है और आपकी काफ़ी कविताए बहुत बढ़िया है".... इस एक बात को छोड़ दिया जाए तो आपके ब्लॉग्पोस्ट पर मुझे कुछ भी ऐसा नही लगा जिससे प्रभावित हुआ जाए
-->26.12.2008 की शुरुआत से आज तक आपसे सिर्फ़ 64 लोग ही जुड़े (कुछ चेहरे तो परिवार, पहचान वालो के भी होंगे) ?? आपकी नज़रो मे ये बहुत बड़ी संख्या होगी मेरे लिए नही ...सड़क के किनारे मदारी भी डुगडुगी बजा कर सेकड़ो की भीड़ कुछ मिंटो मे इकट्ठी कर लेता है आप तीन साल से ज़यादा समय मे (चार साल अभी भी नही हुए है) भी वाहा तक नही पहुँच पाए
-->आपको विषयो पर ब्लॉग लिखते नही पाया जहा पाठक कुछ डिस्कसन करते लगे हो
-->कुछ मौको पर आप अपने परिजनो (जीजाजी,भतीजो) के बारे मे अपडेट देते दिखे , अब इसमे ब्लॉग जैसा क्या था मुझको समझ नही आया
मेरा इरादा ठेस पहुँचाने का नही है पर बात को उसी रूप मे कहने की आदत के चलते अगर मेरे शब्दो से कष्ट हुआ हो तो माफी चाहता हू ...धन्यवाद
-->26.12.2008 की शुरुआत से आज तक आपसे सिर्फ़ 64 लोग ही जुड़े (कुछ चेहरे तो परिवार, पहचान वालो के भी होंगे) ?? आपकी नज़रो मे ये बहुत बड़ी संख्या होगी मेरे लिए नही ...सड़क के किनारे मदारी भी डुगडुगी बजा कर सेकड़ो की भीड़ कुछ मिंटो मे इकट्ठी कर लेता है आप तीन साल से ज़यादा समय मे (चार साल अभी भी नही हुए है) भी वाहा तक नही पहुँच पाए
-->आपको विषयो पर ब्लॉग लिखते नही पाया जहा पाठक कुछ डिस्कसन करते लगे हो
-->कुछ मौको पर आप अपने परिजनो (जीजाजी,भतीजो) के बारे मे अपडेट देते दिखे , अब इसमे ब्लॉग जैसा क्या था मुझको समझ नही आया
मेरा इरादा ठेस पहुँचाने का नही है पर बात को उसी रूप मे कहने की आदत के चलते अगर मेरे शब्दो से कष्ट हुआ हो तो माफी चाहता हू ...धन्यवाद
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April 11,2012 at 03:07 PM IST
धन्यवाद ,एक निवेदन है आप से ब्लॉग लेखन का उपयोग मै अपनी भावनाओं को व्यक्त करनें के लिये करता हूं, न बिना वजह ज्यादा टिपण्णी करता हूँ न आशा ही रखता हू. साथ ही इन ६४ लोगो में मात्र एक व्यक्ति मेरे परिचित तथा रिश्तेदार है. वाकी लोगो से कभी मिला भी नहीं,बस ब्लॉग के जरिये ही एक दूसरे को जानते है. मदारी की तरह भीड़ लगानें की इच्छा भी नही हैं . राजनीत से जुड़ा रहा हू ,बहुत भीड़ देखने व भीड़ जोडनें वालों को देखनें व समझनें का अवसर मिला है, कावि भी नही हूँ ,बस कभी कोई विचार मन में आया लिख दिया,साहित्यकार जैसी योग्यता नहीं है मेरे पास, मेरे किसी जवाब या लेख से ठेस पहुची हो तो क्षमा चाहता हूँ.
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April 13,2012 at 08:48 AM IST
शरद जी भीड़ तो हमेशा मूर्खो की पीछे चलती है...देखा नही अन्ना के पीछे कितनी बड़ी भीड़ थी...मानव जाती का इतिहास बताता है की प्रतिभावान, बुधीजीवी तो हमेशा ही अकेलए पद गये...वो चाहे नीत्से हो, जुंग हो, वांगॉग हो...हा इन के जाने के बाद ज़रूर भेद ने उन्हे सम्मान दिया....हमने कभी किसी जीनियस को जीते जी सम्मान नही दिया...आप ब्लॉग पर भीड़ की बात कर रहे है...एसी स्तंभ मे एक से एक गंदे, भद्दे और पूर्वाग्रहो से भेरे ब्लॉग हिट हो रहे है....गाँधी को गली दो और हिट हो...एक सज्जन यही कर रहे...उनकी आप बड़ी तारीफ करते है....कहते है ना मखी....मे विक्रम जी के यथार्थ से भरे ब्लॉग की तारीफ करता हू....हा आपको तो ये विक्रम जी पर गुस्सा आएगा ही...उन्होने आपके अन्ना की पॉल जो खोल डी...यदि विक्रम जी ने लिखा होता की अन्ना महान, रामदेव महान, मोदी महान, बी जे पी महान...तो आपकी बाँछे खिल जाती....तो आप उन्हे महान ब्लॉगेर मानते...पहले ये तो बताओ आपके अन्न आजकल है कहा? बी जे पी के कार्यकर्ता शिविर मे?
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April 13,2012 at 06:18 PM IST
बिरजू जी आमतौर पर मुझे बिचौलिए पसंद नही आते और मेरा यकीन सामने वाले से सीधे-2 बातचीत मे कही ज़यादा रहता है, विक्रम जी और मेरे बीच सीधी और स्पष्ट बातचीत हो चुकी है और अगर उनको कोई संशय होता तो वे खुद लिखते ...रही बात कि मुझे कौन से ब्लॉग्स पसंद करने चाहिए तो फिलहाल उसके लिए आज की तारीख मे मुझे आपके मशवरे की ज़रूरत नही है , भविष्य मे कभी इस बारे मे निर्णय लेने मे समस्या होगी तो सबसे पहले आपके अनुभव से ही मदद ली जाएगी ... रही बात नेता और भीड़ पर आके कॉमेंट की तो जनाब मेरे और विक्रम जी की बातचीत को एक बार फिर "ठंडे दिमाग़ से" पढ़ लीजिए शायद कुछ...:))
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April 13,2012 at 09:12 PM IST
ओह ये आप बोले रहे है की बीचोलिए पसंद नही जीतन आप चारो तरफ आधी9 रोटी पर दाल लेते फिरते है और जीतने बड़े आप भीचौलिए है उतना तो शायद और कोई नही....जब जवाब नही बनता तो कुतर्क जीतने आप करते है उतना कोई क्या करेगा....आप सिर्फ़ और सिर्फ़ बी जे पी के अंध बकट है...यदि एसा नही होता तो गाँधी को गली देने पर कम से कम एक बार तो आप ज़ुबान खोलते....आपको मशविरा...अरे मशविरा तो उसे दिया जाता है जो तोड़ा भी समझदार हो....कहते है ना भेस के आयेज बिन बजाना....
April 10,2012 at 11:04 PM IST
आपका धैर्य और मर्यादित व्यवहार एक उत्कृष्ट उदाहरण लगा यहाँ!!
अन्ना जी का मकसद मुझे सही लगता है, तरीकों पर थोड़ी बहुत मुश्किल है. पर जो कर रहे हैं, अगर मैं उनका साथ नहीं दे सकता, तो अभी उनके खिलाफ भी बोलने से बचता रहता हूँ.
थोड़े दिन पहले की ही बात है, उत्तर प्रदेश से एक न्यूज़ आई थी. ये न्यूज़ समाज कल्याण विभाग का भ्रष्टाचार उछगार करने वाले एक जुझारू ईमानदार अफ़सर रिंकू सिंह राही के बारे मे थी.
सरकार द्वारा जारी करोड़ो की छात्रवृत्ति को, जो दलित-पिछड़े समुदाय के छात्रों के लिए आई थी, को प्राइवेट कॉलेज हजम कर रहे थे और साथ मे चात्रो से भी फीस ले रहे थे. समाज कल्याण विभाग इसमे शामिल था. आज के अख़बार मे भी खबर है की 700 करोड़ का घोटाला हुआ.
जब रिंकू सिंह राही ने इसके खिलाफ जानकारी जुटानी चाही तो विभाग के भ्रष्ट लोगों और कॉलेज माफिया ने मिलकर उनमे छः गोलिया उतार दी, जिंदगी मौत से लड़ते हुए भी उन्होने भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन किया.
लेकिन कमाल है, भ्रष्टाचार के खिलाफ अपपनी जिंदगी सही मे दाँव पर लगाने वाले के साथ मुट्ठी भर ही लोग आए? अन्ना जी की टीम और उनके समर्थकों का समर्थन रिंकू सिंह जैसे जाँबाज को क्यों नहीं मिला? मीडिया ने उनके साथ वो सब क्यो नहीं किया जो अन्ना जी के साथ करती है?
बात जब दलित पिछड़े समाज के लुटते पैसे की थी, तो क्यों नहीं वही जज़्बा दिखाई दिया? अगर अन्ना का जोश और रिंकू की जाँबाज़ी मिल जाते तो क्या आंदोलन मजबूतनहीँ होता?
कुछ दिन पहले केजरीवाल जे0एन0यू0 गये, वहाँ उनसे कमजोर वर्गो पर उनकी राय पूछी गया, लेकिन दुर्भाग्य वश वो वहाँ से बच निकले, पर जवाब देना उचित नहीं समझा.
ये कुछ बातें हैं जो हमारे मन मे पीड़ा पैदा करती हैं, चिंता पैदा करती हैं की क्या सही मे अन्ना जी जो कर रहे हैं, उससे भ्रष्टाचार ख़त्म होगा या उसके बहाने देश को किसी अन्य व्यवस्था की और धकेलने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा, जहाँ संविधान की भी न चले? वैसे कमजोर वर्गो के पास संविधान द्वारा दिए गये अधिकारों (कोई स्पेशल अधिकार नहीं, बल्कि इंसान होने का अधिकार) के अलावा है ही क्या?
पर मैं इतना स्वार्थी भी नहीं, जब तक अन्ना टीम अपनी राय स्पष्ट नहीं बता देती और हर समाज के हितो को ध्यान मे रखकर कार्य करती है, मैं इनका समर्थन करता रहूँगा,
अन्ना जी का मकसद मुझे सही लगता है, तरीकों पर थोड़ी बहुत मुश्किल है. पर जो कर रहे हैं, अगर मैं उनका साथ नहीं दे सकता, तो अभी उनके खिलाफ भी बोलने से बचता रहता हूँ.
थोड़े दिन पहले की ही बात है, उत्तर प्रदेश से एक न्यूज़ आई थी. ये न्यूज़ समाज कल्याण विभाग का भ्रष्टाचार उछगार करने वाले एक जुझारू ईमानदार अफ़सर रिंकू सिंह राही के बारे मे थी.
सरकार द्वारा जारी करोड़ो की छात्रवृत्ति को, जो दलित-पिछड़े समुदाय के छात्रों के लिए आई थी, को प्राइवेट कॉलेज हजम कर रहे थे और साथ मे चात्रो से भी फीस ले रहे थे. समाज कल्याण विभाग इसमे शामिल था. आज के अख़बार मे भी खबर है की 700 करोड़ का घोटाला हुआ.
जब रिंकू सिंह राही ने इसके खिलाफ जानकारी जुटानी चाही तो विभाग के भ्रष्ट लोगों और कॉलेज माफिया ने मिलकर उनमे छः गोलिया उतार दी, जिंदगी मौत से लड़ते हुए भी उन्होने भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन किया.
लेकिन कमाल है, भ्रष्टाचार के खिलाफ अपपनी जिंदगी सही मे दाँव पर लगाने वाले के साथ मुट्ठी भर ही लोग आए? अन्ना जी की टीम और उनके समर्थकों का समर्थन रिंकू सिंह जैसे जाँबाज को क्यों नहीं मिला? मीडिया ने उनके साथ वो सब क्यो नहीं किया जो अन्ना जी के साथ करती है?
बात जब दलित पिछड़े समाज के लुटते पैसे की थी, तो क्यों नहीं वही जज़्बा दिखाई दिया? अगर अन्ना का जोश और रिंकू की जाँबाज़ी मिल जाते तो क्या आंदोलन मजबूतनहीँ होता?
कुछ दिन पहले केजरीवाल जे0एन0यू0 गये, वहाँ उनसे कमजोर वर्गो पर उनकी राय पूछी गया, लेकिन दुर्भाग्य वश वो वहाँ से बच निकले, पर जवाब देना उचित नहीं समझा.
ये कुछ बातें हैं जो हमारे मन मे पीड़ा पैदा करती हैं, चिंता पैदा करती हैं की क्या सही मे अन्ना जी जो कर रहे हैं, उससे भ्रष्टाचार ख़त्म होगा या उसके बहाने देश को किसी अन्य व्यवस्था की और धकेलने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा, जहाँ संविधान की भी न चले? वैसे कमजोर वर्गो के पास संविधान द्वारा दिए गये अधिकारों (कोई स्पेशल अधिकार नहीं, बल्कि इंसान होने का अधिकार) के अलावा है ही क्या?
पर मैं इतना स्वार्थी भी नहीं, जब तक अन्ना टीम अपनी राय स्पष्ट नहीं बता देती और हर समाज के हितो को ध्यान मे रखकर कार्य करती है, मैं इनका समर्थन करता रहूँगा,
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April 11,2012 at 03:20 PM IST
धन्यवाद, सही कहा आपनें, देश की राजनैतिक , सामाजिक व्यवस्था दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है,यही हालत रहे तो जीना दूभर हो जायेगा, मै भी आप बात से सहमत हू की ''जब तक अन्ना टीम अपनी राय स्पष्ट नहीं बता देती और हर समाज के हितो को ध्यान मे रखकर कार्य करती है, मैं इनका समर्थन करता रहूँगा,''
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April 10,2012 at 09:37 PM IST
लगता है की अन्ना जी खुद भ्रष्ट काग्रेसियों से मिले हुये हैं,तभी भ्रटाचार जैसे गंभीर मुद्दे को लोकपाल से विवादपाल का रूप दे दिया है, जिससे अगला चुनाव आते आते लोग इस विषय से ऊब कर चर्चा करना ही छोड़ दे ,जैसा राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद में हुआ.आज लोग इस विषय में चर्चा करना पसंद नही करते. .
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April 10,2012 at 10:02 AM IST
आप लेखक ही है...??????.. सिवाय अन्ना, रामदेव, मोदी, RSS,BJP की बुराई के अलावा क्या लिखा है आज तक ...??..सुभाष चंद्रा बोज़, भगत सिंह,चंद्र शेखर आज़ाद आदि देश भकतों की कातिल , देश के बटवारें की ज़िम्मेदार , हिंदू सिखों में बैर पैदा करने वाली कांग्रेस (विदेशी) की आलोचना सुनने पर क्यों रोष आ जाता है आपको ???...क्योंकि आप लेखक नही हैं...
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April 10,2012 at 11:40 AM IST
भाई ,माफ करना, मै कोई लेखक नही हूँ, न आप जैसा बुद्धिमान ,हाँ यह जानकर मुझे भी आज ही मालुम पड़ा की मै सिर्फ आप द्वारा उल्लेखित लोगो के सम्बन्ध में लिखता हूँ?साथ ही काग्रेस [आपके मुताबिक़ विदेशी] की आलोचना सुननें में मुझे रोष आता है,?हां आप जरूर रोष में लग रहे हैं. चलिए आज मालुम पड़ा की कागेस विदेशी है,और हमारी देश की जनता नें सबसे ज्यादा उसी को सत्तासीन किया,फिर विदेशी ताकत के रहते आजादी के क्यां माइनें,फिर तो भ्रष्टाचार ,महगाई का रोना इन विदेशियों से रोनें का कोई फायदा नही, चलिये,और अपनी सिविल सोसायटी से भी कहियें,आजादी की नयी जंग का ऐलान करें''विदेशी भगाओ देश आजाद कराओ''. साथ ही गाधी जी का राग अलापना अन्ना जी छोड़े क्यों की इन कथिक [आप के मुताबिक़] विदेशियों को सत्ता में वही बिठला के गए थे.
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April 13,2012 at 08:54 AM IST
शेखर जी आपने उन ब्लॉगर्स के लिए भी कुछ कमेंट्स डत्ये है जो रात दिन गाँधी, नेहरू को पानी पी पी कर गलिया दे रहे है, कुछ चड्डी छाप लोग हर तरफ गली गलोच करते फिर रहे है? नही ना....आपकी चाहते है की सभी ब्लॉगेर्स एक ही काम करे कांग्रेस को बदनाम...आप बी जे पी के अंधे हो सकते है लेकिन सब नही....बी जे पी भी कोई धुध की धूलि नही...अन्न और रामदेव तो बी जे पी के कार्यकारता है...आपको बुरा यही लगते है की आपकी बी जे पी के लोगो की पॉल खुल रही है...है ना?
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April 08,2012 at 11:40 PM IST
जब आप ने दिमाग़ मे बिठा ही लिया है की अन्ना ग़लत हैं तो आप को उनकी हर बात ग़लत ही लगेगी....और रही बात गाँधीवादी की , तो शायद आपने सुना नही की आंनद हिवाजी के भी कट्टर समर्थक हैं, उन्होने एक एक सार्थक पर्यास किया है और आम अददमी को करप्षन के खिलाफ जगाया है, और 121 करोड़ आबादी वाले देश को जहाँ हर व्यक्ति अपना मज़हब देखता है, अपनी जाती, धरम, परिवार देखता है, उसे आप ही जगा दीजिए, अन्ना कोशिश तो कर रहे हैं
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April 09,2012 at 12:25 AM IST
विकास के साथ भ्रटाचार हर देश की समस्या रही है,हम भी उसी दौर से गुजर रहे है, वर्त्तमान व्यवस्था के प्रति सभी के मन में आक्रोश है और बदलाव की इच्छा भी, अन्ना के संबंध में मेने जो विचार व्यक्त किये,वह आन्दोलन में आये भटकाव के कारण,शायद मै गलत भी हो सकता हूँ.जंतर-मंतर छोड़ कर जिस दिन विनोबा भावे की तरह जन-जन के पास पहुच जायेगें, परिवर्तन भी आ जायेगा.
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April 08,2012 at 11:24 PM IST
ब्लॉगर --> विक्रम सिंह
इस ब्लॉग से पहले "अपना ब्लॉग" मे कुल ब्लॉग --> 14
14 ब्लॉग्स मे कुल मिले कॉमेंट्स --> मात्र तीन (सिर्फ़ तीन)
अकेले 15 वे ब्लॉग (अन्ना निश्चय कर लें, वह क्या चाहते हैं!) मे "अब तक" मिले कॉमेंट्स -->19
<< ब्लॉगर का मिशन पब्लिसिटी पूरा हुआ...चलो छुट्टी की घंटी बज गयी है>> :))
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April 13,2012 at 09:01 AM IST
शरद जी एक कोई साहब है जो रात दिन गाँधी और नेहरू को गलिया दे रहे है...उनके ब्लॉगा पर हर बार सो दो सो कमेंट्स आते है तब तो आप नही कहते की पूबलीसटी पूरी हुई....तब तो आप तालिया बजाते है....आपको एसी तकलीफ़ क्यो होती है यदि कोई बी जे पी के खिलफ बोले? तब आपके तर्क कहा जाते है जब कोई कांग्रेस को, राजीव गाँधी को, सोनिया ज्नाधी को, महात्मा गाँधी को, नेहरू जी को गलाया देते है...एक सज्जन तो एसी काम मे लगे है उनके ब्लॉग्स तो आप बड़ी तारीफ से समर्थन करते है....अब कोई गाँधी की पॉल खोलेगा तो कोई अन्ना की...और गाँधी की तुलना मे अन्ना तो जोकर भर है...आप गाँधी को गली पच जाते है...अन्ना जेसे मूर्ख के किलफ लिखी एक बात से एसए उछाल क्यो पड़ते है? लो मे भी कहता हू अन्ना...हो की रामदेव...सब के सब बी जे पी, आर एस एस के प्यादे है....और ये बात पूरा देश जाना गया है....
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April 09,2012 at 12:05 AM IST
कॉमेंट्स की आशा में ?.....सही कहाँ आपने ,चार साल से ब्लॉग लेखन में हूँ, कष्ट करके http//vikram7-vikram7.blogspot.com का अवलोकन कर लें,शायद विचारधारा में परिवर्तन आ जाये. अपनी भड़ास निकाल ली ,मन हल्का हो गया मेरे दोस्त....[vikram7] जरूर देखिएगा ,मुझे प्रचारित होनें का अवसर मिल जाएगा .धन्यवाद
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April 13,2012 at 01:42 PM IST
वो विजय कुमार सिंह आपको क्या लगता है जो गाँधी को मूर्खात्मामा कहता है, नेहरू को मूर्ख कहता है....वो कहे का भूखा है....विक्रम जी ने अन्ना के लिए कोई अपशब्द नही बोले है....ये तो चड्डी मे से निकलते है....गली और चड्डी का चौली दामन का साथ है....शरद जी कभी अपने बी जे पी की आँधी आँखो को खोल कर सच को देखना सीखेए...बड़े बुधीजीवी बनाने का ढोंग करते फिरते हो....विक्रम जी की मज़ाक बनाने से पहले अपना क्लाला चेहरा आईने मे देकला लो...चड्डी तो जाग जाहिर है ही
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April 08,2012 at 05:14 PM IST
आप का लेख निष्पक्ष नही है......आपका लेख पूर्ण रूप से अन्ना विरोधी है...आपने उनके निस्वार्थ ओर ईमानदारी भरे जीवन को नीचा दिखाने की कोशिश की है... पहले कांग्रेस भी यह कर के देख चुकी है...सारा जीवन की जाँच करा ली कुछ हासिल नही हुआ...मनहूस तिवारी को माफी माँगनी पड़ी....अगर मीडिया आपको प्रचारित कर भी दे तो भी आप अन्ना के जैसे क्रांति का आगाज़ नही करा सकते......अन्ना में दम था इसलिए उनको जेल में 1 घंटा भी नही रख सकी कांग्रेस.....इतने घोटालों के बाद भी बेशर्म बन के राज कर रहें है यह काले अंग्रेज...ओर क्या कहूँ...विनती है...मान नही तो अपमान मत करो एक इमानदर ओर देशभक्त बुजुर्ग का...
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April 08,2012 at 09:08 PM IST
अन्ना की शूरवात सही थी,बाद में जो बदलाव आया, उसनें आंदोलन को दिशा हीन बना दिया,सरकार देश की जनता चुनती है,समाज बदल दो सरकार बदल जाएगी . लेख का अर्थ समझो,आपा खोनें से कुछ नही होने वल.दम हो तो हर व्यक्ति भ्रष्टाचार को दूर कर सकता है,रही मेरी बात, मै जहाँ हूँ,भ्रष्टाचारी नाम से दूर भागते है,बिना मीडिया के सपोर्ट के.
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April 09,2012 at 02:32 PM IST
आप के अंदर इतना समर्थ्या है....तो अन्ना के सामने जा कर खड़े हो जायो ओर कहो......में ख़त्म करूँगा भ्रष्टचार....बोल्ग पर किसी की कमी निकलना कोई हिम्मत का काम नही है....आप दुबारा कांग्रेस में शामिल हो जायो...अन्ना को गाली देने वालो के साथ है कांग्रेस.....शायद यह लेख भी इसीलिये लिखा है.....
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April 09,2012 at 09:21 PM IST
आप अन्ना समर्थको की सबसे बड़ी कमजोरी यही है की अन्ना के सम्बन्ध में किसी नें मनमाफिक नही बोला तो आप उसके साथ अमर्यादित भाषा का प्रयोग करनें लगते हैं,एक सलाह है एलान करा दे अन्ना के खिलाफ बोले तो ख़ैर नही,हिटलर शाही नही लोकशाही है जनाब,अपनी बात मर्यादित ढंग से कहनें की आजादी,किसी का मुह बंद करके आप सफलता अर्जित नही कर सकते,जंतर मंतर में भी ऐसे ही मुहावरों का प्रयोग हुआ था ,सारे देश में भर्सना हुयी थी,अगर आप अन्ना के विचारों से जुड़े है मेरे सामर्थ की जगह खुद जाकर अन्ना को सहयोग दे, एक विचारवान त्यागी सहयोगी मिल जायेगा,वैसे भी आप मुझे वापस काग्रेस में जाने की सलाह दे चुके हैं,उस पर भी विचार करना हैं?
April 08,2012 at 06:36 PM IST
अन्ना की शूरवात सही थी,बाद में जो बदलाव आया, उसनें आंदोलन को दिशा हीन बना दिया,सरकार देश की जनता चुनती है,समाज बदल दो सरकार बदल जाएगी . लेख का अर्थ समझो,आपा खोनें से कुछ नही होने वल.दम हो तो हर व्यक्ति भ्रष्टाचार को दूर कर सकता है,रही मेरी बात, मै जहाँ हूँ,भ्रष्टाचारी नाम से दूर भागते है,बिना मीडिया के सपोर्ट के.
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April 08,2012 at 08:20 PM IST
भाई साहब ,चोरो को सरे नजर आते हैं चोर .जरा ईमानदारी से सोचना कभी सरकार से टैक्स की चोरी नही की ,व्लेड भी लाये तो दूकानदार से बिल लिया . अरबो चुराने वाले तो कभी कभी जेल जाते है पर यह चोर ...चोरी तो चोरी है,हम जहाँ है जिस हाल में हैं ईमानदारी से अपनें कर्तव्य का निर्वहन करें,सारी समस्याओ का निदान हो जाये. यह कहना छोड़ दें, की चोर कौऩ है,यह कहनें की आदत डाले की आओ चोरी करना छोड़ दें. मेरा अन्ना से नहीं अन्ना व् अन्ना टीम की दोहरी मानसिकता से विरोध है ,अगर काग्रेस चोर है तो अन्य राजनैतिक दल...अन्ना उनका विरोध क्यों नही करते, मे अपनी बात पर कायम हूँ, की अन्ना टीम ईमानदारी से इस विषय पर पहल करती,लोग टीवी,समाचार से बाहर निकल कर एक दिन के लिये सड़को पर आ गये होते तो देश में आजादी के बाद सबसे बड़ा बदलाव हमारी व्यवस्था में आ गया होता . जरूरत है एक ईमानदार पहल की और उसी ईमानदारी से लोगो के साथ देनें की .
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April 08,2012 at 03:05 PM IST
एक इमानदर नेता पैदा हो गया है, जो देश का भला करने का कसम लिया है, आप महाशय को भ्रास्तचार और सरकार के खिलाफ बोलना सस्ती लोकप्रियत है तो तो नज़र घूमाओ कितने करोड़ लोग मिलेंगे, और सरकार(कॉंग्रेस) की चापलूसी करना खानदानी परंपरा है कुछ लोगो की उनमे आप भी शामिल हो गये.
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April 08,2012 at 05:16 PM IST
सच वर्दाश्त करने की आदत डालिए,काग्रेस को ख़ूब गाली दे लो,आज़ादी उसी ने दिलाई,लगता इस देश में अन्ना से पहले इमानदार नही हुए?न ही आप व अन्ना जैसे देश भक्त, गाँधी वादी बता कर थप्पड़ फाँसी का समर्थन करते है,आप बिना समझे आमर्यादित जवाब,बहुत ही सही दिशा में ले जाएगें देश को
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April 09,2012 at 11:30 AM IST
कॉंग्रेस और आज़ादी? दोहरी जिंदगी जीने की आदत पद गयी है आपको, और सच की आदत आप डालिए क्यूंकी कॉंग्रेस ने आज़ादी नही दिलाई अपितु देश भक्तो को सज़ा दिलवाई और आज भी यही कर रही है, और जब तक आप जैसे कॉंग्रेसी चापलुस रहेंगे देश को गुलाम होने मे ज़्यादा टाइम नही लगेगा, अभी तो सिर्फ़ घोटाले ही हो रहे है, आगे देखते रहो,
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April 09,2012 at 01:32 PM IST
तुम अन्ना समर्थक ही जानकार हो ,जरा अपनें गिरेवान में झांक कर देखो. अरे मैनें अपने विचार व्यक्त कियें हैं . किस किस का मुह अपनी गलत भाषा से बंद करोगे, जावाब इसी भाषा में मै भी दे सकता हूँ,अगर अन्ना के विचारों में विश्वास है तो वह कर के दिखाओ,या कागजी शेर ही बनें रहोगे, काग्रेस से इतनी तकलीफ है तथा जनता तुम्हारे साथ है ,तो इंतज़ार किस बात का है,उतार फेको सरकार से,दूसरो को गालियाँ बकनें से ज्यादा कर भी क्या सकते हो .
April 09,2012 at 11:30 AM IST
कॉंग्रेस और आज़ादी? दोहरी जिंदगी जीने की आदत पद गयी है आपको, और सच की आदत आप डालिए क्यूंकी कॉंग्रेस ने आज़ादी नही दिलाई अपितु देश भक्तो को सज़ा दिलवाई और आज भी यही कर रही है, और जब तक आप जैसे कॉंग्रेसी चापलुस रहेंगे देश को गुलाम होने मे ज़्यादा टाइम नही लगेगा, अभी तो सिर्फ़ घोटाले ही हो रहे है, आगे देखते रहो,
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April 09,2012 at 01:32 PM IST
तुम अन्ना समर्थक ही जानकार हो ,जरा अपनें गिरेवान में झांक कर देखो. अरे मैनें अपने विचार व्यक्त कियें हैं . किस किस का मुह अपनी गलत भाषा से बंद करोगे, जावाब इसी भाषा में मै भी दे सकता हूँ,अगर अन्ना के विचारों में विश्वास है तो वह कर के दिखाओ,या कागजी शेर ही बनें रहोगे, काग्रेस से इतनी तकलीफ है तथा जनता तुम्हारे साथ है ,तो इंतज़ार किस बात का है,उतार फेको सरकार से,दूसरो को गालियाँ बकनें से ज्यादा कर भी क्या सकते हो .
April 08,2012 at 07:54 PM IST
लगता है की लेखक महोदय का इतिहास कमज़ोर रहा है या इन्होने कुछ अलग तरह की इतिहास की किताबें पढ़ी है जो हम जैसे साधारण लोगों के लिए उप्लबध नहीं थी. ये किताबें सिर्फ़ कांग्रेस के चाटुकारों के लिए ही उप्लबध थी. तभी इन्हे लगता है की कांग्रेस और कॉंग्रेस्सी ना होते तो देश आज़ाद ही ना होता. इन्होने बचपन से लेकर आज तक सिर्फ़ यही पढ़ा है की देश को सिर्फ़ कॉंग्रेसियों ने ही देश को आज़ाद कराया. सुभाष चंद्रा बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद का तो नाम भी नहीं सुना है लेखक महोदय पहले आप निश्चय कर ले की आप क्या चाहते हैं कांग्रेस की चाटुकारिता या अन्ना की बुराई.
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April 08,2012 at 09:06 PM IST
इतिहास ज्यादा आप जानते है यह तो मै समझ गया ,जिस गाधीं जी का नाम अन्ना लेते है वह शायद काग्रेस से नही थे तभी तो थप्पड़ ,फांसी का समर्थन करते हैं आप जैसे समर्थक ,बिरोधियो क्र लिये अशब्दो का प्रयोग, अगर मै काग्रेस की चाटुकारिता कर रहा हूँ तो आप क्या अन्ना की चाटुकारिता नही कर रहे, अगर मै यह कहूँ की अन्ना ख़ुद भ्रष्टाचारी काग्रेसियों से मिल कर एक सही मुद्दे को विवाद का स्वरूप दे दिया ,जिससे इस समस्या का सही समाधान ही न हो पाये.और हुआ भी यही ,शरद यादव पर सवाल खड़े कर संसद पर सवाल उठा सभी को अपना विरोधी बना लिया ,इसका लाभ काग्रेस को ही मिल रहा है,इस विषय में क्यां कहेगें.
April 08,2012 at 10:03 PM IST
मुझे इसकी जानकारी नहीं थी,साथ ही आपको जानकारी दे दूँ, मै इसी मुद्दे पर काग्रेस से स्तीफा दे चुका हूँ, हाँ काग्रेस के प्रति आप का आक्रोश देख कर हसी जरूर आती है, विचारों का आदान प्रदान,समर्थन ,विरोध जनतंत्र में नागरिक अधिकारों का मुख्य आधार होता है,और सही प्रयोग प्रबुध्द नागरिक की पहचान
April 13,2012 at 09:05 AM IST
कोई ज़रा भी अन्ना, रामदेव, मोदी के खिलाफ लिखे या उनकी हाकाईकट को जनता के सामने लयाए तो तत्काल उसे कांग्रेस को चाटुकार बना दिया जाता है...तो फिर वी सारे लोग जो र्राट दिन गाँधी को इसे स्तम्बे मे गलियाया दे रहा वी बी जे पी के चाटुकार हुए ना....चाटुकार सौरभ...आप भी रात दिन बी जे पी की सेवा मे लगे हो...चाटुकरषिरोमणि...
April 11,2012 at 09:49 AM IST
जवाब देने से पहले आपने क्या सोचा ११० साल पुरानी काग्रेस ने देश को क्या दिया सिवाय दंगा भॄस्टाचार आतकवाद और महँगाई के और अपने नेताओ को अरबो रूपया बिदेशो मे जमा करने की सीख ! आप बता सकते हो सोनिया गौधी के पास आय का क्या साधन है ये अगर इनके पास न० १ की रकम है तो इनकम टैक्स मे जमा की गई रकम क्यों छिपा रही है !
देश कैसे चल रहा है क्या ये भृस्ट सरकार देश चला रही है यह सरकार बनने से अब तक केवल अपनी सरकार बचाने मे ही लगी है यह सरकार केवल गठबन्धन की राजनीति करती है (इसको भारत माता के प्रबन्धन की राजनीति का ज्ञान ही नही है) इसी को सरकार चलाना कह रहे हो ! सरकार के युवराज उ०प्र० चुनाव से पहले यहॉ की सरकारौ से २० साल का हिसाब बडे जोर शोर से मॉग रहे थे अब ४० साल का हिसाब देने की बारी आयी तो कहॉ छिपकर बैठ गये किस मुह से हिसाब मॉग रहे थे ! अपनी गाड गिफ्टेड सीट से भी एक बिधायक नही जिता पाये !
काग्रेस व भॄस्ट सरकार की वकालत करने से पहले चुल्लू भर पानी लेकर उसी मे डूब मरो ! इस काग्रेस ने तारीफ करने लायक काम पिछले ६४ सालो मे नही किया है इसके दल मे जुडने से पहले १०० बार सोचो इस दल मे केवल दल-दल बचा है दुबारा जाने की चेष्टा न करै ! अन्ध भक्ति तो आप दशाँने मे लगे हो आप जो भी लिखो सोच समझ कर लिखो जिसका कोई काट नहो !
देश कैसे चल रहा है क्या ये भृस्ट सरकार देश चला रही है यह सरकार बनने से अब तक केवल अपनी सरकार बचाने मे ही लगी है यह सरकार केवल गठबन्धन की राजनीति करती है (इसको भारत माता के प्रबन्धन की राजनीति का ज्ञान ही नही है) इसी को सरकार चलाना कह रहे हो ! सरकार के युवराज उ०प्र० चुनाव से पहले यहॉ की सरकारौ से २० साल का हिसाब बडे जोर शोर से मॉग रहे थे अब ४० साल का हिसाब देने की बारी आयी तो कहॉ छिपकर बैठ गये किस मुह से हिसाब मॉग रहे थे ! अपनी गाड गिफ्टेड सीट से भी एक बिधायक नही जिता पाये !
काग्रेस व भॄस्ट सरकार की वकालत करने से पहले चुल्लू भर पानी लेकर उसी मे डूब मरो ! इस काग्रेस ने तारीफ करने लायक काम पिछले ६४ सालो मे नही किया है इसके दल मे जुडने से पहले १०० बार सोचो इस दल मे केवल दल-दल बचा है दुबारा जाने की चेष्टा न करै ! अन्ध भक्ति तो आप दशाँने मे लगे हो आप जो भी लिखो सोच समझ कर लिखो जिसका कोई काट नहो !
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April 11,2012 at 01:31 PM IST
काफी समझातार लगे,मेरे लेख में अन्ना जी के विषय में लिखा गया है ,आप को काग्रेस ,और सोनिया कहाँ से नजर आ गई .?गर किसी से किसी के विचार नही मिलते तो आप अशब्दो में उतर आयेगें,जिस भाषा का प्रयोग टिप्पणी में किया है,उससे अपनी किस सोच का प्रदर्शन कर रहे हो ,देश भक्ति का सारा ठेका केवल तुम्हारे पास है. अन्ना के प्रथम आन्दोलन में काग्रेस में रहते हुये,जब मेरे जिले के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दिनेश शर्मा जी अनशन में बैठे,व मुझे फोन करके आनें का आग्रह किया ,मै गया ,मेरे ही हाथों से तिलक लगवा कर अनशन मै बैठे ,तथा मैने भी उन्हें पूरा समर्थन दिया ,अन्ना के अनशन से लगा जैसे पूरा देश अन्ना के साथ हो, बाद में व्यक्तिगत बयानबाजी के चलते आन्दोलन का राजनैतिक करण हो गया .और उससे जो विचार मेरे मन में आये लिख दिया. मुझे आशा थी, कि अन्ना के इस आन्दोलन में जन-जन की सहभागिता होगी अन्ना भी गाधी जी की तरह पूरे देश का भ्रमण कर समाज को जाग्रत करेगें, समाजजिक परिवर्तन ही राजनैतिक परिवर्तन का आधार बनेगा .पर सारा अन्दोलन कागेस के विरोध व जन्तर -मंतर में धरनें तक में सिमट कर रह गया. जहाँ गैर कागेसी सरकारे है क्या वहां लोग भ्रटाचार से पीड़ित नहीं है?हमारे देश की स्थानीय निकाय, पंचायत ,नगरपालिका में ईमानदार लोग ही देश की जनता चुन कर बिठला दे केंद्र, राज्य में कितनी ही भ्रष्ट सरकारें हो आधे से जादा भ्रटाचार दूर हो जायेगा. जिस चुल्लू भर पानी की बात करते हो जरा अपनी आखो में देखना क्या वहां पानी बचा है.?
April 11,2012 at 06:19 AM IST
विक्रम सिह ज़ी आपका ब्लाक पढा आपका चाल चरित्र चेहरा सामने नजर आरहा है ! आपने खु:द कहा कि आपने काग्रेस छोड दी है और कितने दिन काग्रेस मे आपने झख मारी आपने नही बताया आप वहॉ किस मुकाम पर थे आपने ये भी नही बताया काग्रेस मुखिया के घर पर चौका बतँन करने वाले तो मुख्य मंत्री तक बन गये और करीब-करीब लोग ऊचे-ऊचे पदो पदासीन है आपकी गिनती वहॉ पर किस ऋँणी मे थी ! पढ कर दु:ख कि जिन काग्रेसियौ ने आपकी औकात अपने यहॉ झाडू लगाने वाले से भी कम समझी होगी तब आप उसे छोडने के लिये मजबूर हो गये ! और छोडने के बाद भी आप पछता रहे हो अब वापस काग्रेस मे जाने का कोई सीधा तरीका आपको नजर न आने की स्थित मे सबसे सरल तरीका आपकी समझ मे आया क्यों न अन्ना को बदनाम करके काग्रेस पाटीँ हासिल कर लिया जाय ! क्यों कि बहुत पुरानी कहावत है कि चोर चोरी छोडने के बाद हेराफेरी नही छोडता है यह आप पर लागू है आप काग्रेस का मोह छोड नही पा रहे हो इसी लिए आपको यह एहशास तक नही हो पा रहा है कि अन्ना क्या चाहते है ! आपका दुबारा काग्रेस मे जाना वह आपका निजी फैसला होगा उससे अन्ना का क्या लेना देना ! आप अन्ना बिरोधी हो यह भी आपकी मजीँ क्या आपने अन्ना से व्यकितगत तौर पर यह जानने की कोशिष की कि आप क्या चाहते हो !
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April 11,2012 at 02:26 PM IST
काग्रेस मैने वैचारिक मतभेद के कारण छोड़ी है, न मेरा यह लेख उसके समर्थन में है ,सारी टिप्पणियों में एक बात महसूस की है की समर्थको के दिमाग यह बात बैठ गई है की अन्ना विरोधी कागेस का ही होगा, मै भी राजनीत से जुड़ा हूँ , काग्रेस के अन्दर ही काफी लोग है,जो आज भी अन्ना के समर्थक है,मध्य प्रदेश कागेस के प्रदेश सचिव हरीश अरोड़ा नें दिग्विजय के अन्ना विरोधी वयान से खफा होकर स्तीफा दे दिया था , पर उन्हें बाहर नहीं निकाला गया और आज भी अपनें पद पर है, रही मेरी बात तो इसके जरिये क्या जानकारी दूँ, मेरा पता भी ब्लॉग में है,जानकारी ले ले,सुविधा के लिये फोन नंबर दे रहा हूँ मिस काल करदीजियेगा ,जानकारी दे दूगा ,कहेगें तो आकर आप से मिल भी लूगा. ०९९९३४०९०३३, साथ ही आपका बड़प्पन तभी कायम रहेगा जब दूसरो के लिये भी सही भाषा का इस्तेमाल करोगे ,सलाह है अन्यथा नहीं लेगे. आपनें लिखा है की ''आपका दुबारा काग्रेस मे जाना वह आपका निजी फैसला होगा उससे अन्ना का क्या लेना देना '' सही कहा और भला मै पूछूगा ही क्यूँ,!टिप्पणियों में ही किसी ने दुबारा जाने की बात कही थी जवाब में मैने भी कहा था आपके सुझाव में विचार करूगा .आपने लिखा ''आप अन्ना बिरोधी हो यह भी आपकी मजीँ क्या आपने अन्ना से व्यकितगत तौर पर यह जानने की कोशिष की कि आप क्या चाहते हो '' अन्ना जी से कभी मिला नही ,मिला और बात करने का वक्त दिया तो जरूर पूछूगा ,मिलनें बात करनें के बाद मेरी धारणा में बदलाव आया तथा यह लगा की उनके सम्बन्ध मेरी राय गलत थी तो ,इसी तरह लेख लिख कर तथा समाचार पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक रूप से गलती भी स्वीकार करूगां .
April 11,2012 at 04:30 PM IST
हाँ आप को यह बताना भूल गया,कि आज भी मेरा स्तीफा मंजूर नही हुआ है,अत:अन्ना के संबंध में लिख कर वापस जानें का प्रश्न ही नही उठता,किसी के बारे राय कायम करने से पहले जानकारी हासिल करे. अन्ना जी के बारे में लिखने से पहले उनके आंदोलन कथन का अध्यन करने के बाद लिखा,ओर उसका उत्तर देने को भी तैयार हूँ. उनके साथ जो शब्दो की मर्यादा जानते है.
अपना कॉमेंट लिखें
वाह अच्छा संकलन प्रस्तुत किया ,टिप्पणियों पर ही एक पोस्ट बना डाली.
जवाब देंहटाएंविक्रम जी,...मैंने आपके लेख को अच्छी तरह से पढ़ा और सभी टिप्पणियों को जबाब सवाल पढे,पढकर इस निष्कर्ष में पहुचा,कि आपके आलेख को लोग ठीक तरह से नही समझ सके,उसमे सोनियाजी और कांग्रेस कहाँ से आ गई,अन्ना जी ने शुरू में गांधीगीरी के नक्से कदम पर जो शुरुआत की
जवाब देंहटाएंवह तारीफे काबिल था,किन्तु जैसे२ अन्ना जी के साथ "मुह में राम बगल में छूरी"स्वभाव वाले लोग जुड़ते चले गए,तबसे उनके मिशन में ठहराव सा दिखने लगा,उसका उदाहरण दिल्ली के अनसन में लाखों लोग शामिल हुए थे,वही बाद के मुंबई के अनशन २० हजार लोग भी नही जुड पाए,एक ताजा उदाहरण,लोकपाल बिल पर मुलायम सिंह ने सदन में खुले आम विरोध किया था,अन्नाजी ने लोकपाल के विरोधियों को वोट न देने की अपील की थी,इसके वावजूद मुलायम सिग की सरकार पुर्ण बहुमत से बन गई
इसी तरह से उतरांचल भाजपा ने अन्ना जी के मुताबिक़ बिल पास कर दिया,तो वहाँ भाजापा की
सरकार बदलकर कांग्रेस की सरकार बन गई,..
इससे साफ़ जाहिर होता है,कि अन्ना की बातों को लोगों ने तरहीज देना कम कर दिया है,..
जहां तक मेरा मानना है,भ्रष्टाचार कभी समाप्त नही हो सकता,जबतक आम आदमी नही बदलेगा,
अन्ना जी को चाहिए,अपनी बात आम आदमी तक पहुचाए,उनकी मानसिकता बदले,क़ानून बन जाने से भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा,अगर ऐसा होता तो,हत्या,बलात्कार,चोरी,डकैती,न होती,..
भ्रस्टाचार समाप्त करना है तो समर्पित भाव से हम आप सभी को संकल्प लेना होगा,..नही तो अन्ना जी अनशन करते रहेगें,माध्यम वर्ग के भ्रष्टाचारी लोग अनशन की भीड़ बढाते रहेगें,...
अन्ना के संबंध में सही लेख ,गुमराह कर रहे है देश को ,अन्ना समर्थको को भी मुहतोड़ जवाब दिया है आपने, .बोलती बंद कर दी सबकी.
जवाब देंहटाएंपाठको के प्रश्नों का जिस शालीनता से जवाब दिया है,वह एक मिसाल है.
जवाब देंहटाएं