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रविवार, 22 अप्रैल 2012

इस ब्लॉग की आखिरी पोस्ट ......




आदरणीय साथियो
                  नमस्कार
आज से अपने ब्लॉग विक्रम ७ में लेखन कार्य समय की कमी के कारण बंद कर रहा हूँ. बराबर लेखन व पठन कार्य न करने से एक दूरी बन जाती है,जिसे इस ब्लॉग जगत में पूरा करना मुश्किल हो जाता है. लगभग तीन  वर्षो में इस ब्लॉग के माध्यम से जो रिश्ता आप लोगो से कायम हुआ ,वह मेरे लिए अमूल्य है.व जीवन भर की यादगार, समय मिला तो फिर कभी एक नये ब्लॉग के साथ आपसे मिलने जरूर वापस आऊगां . आप सभी के लिए मेरी शुभकामना है कि इसी तरह अपने विचारों को अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगी तक पहुचाते रहें,और मुझे आशा  है की साहित्य के साथ साथ सामाजिक जागरूकता में भी आपका यह प्रयास नए मापदंड कायम करेगा, साथ ही ब्लॉग बंद  नहीं कर रहा हूँ,पठन के लिए उपलब्ध रहेगा. और समय समय में इसके माध्यम से आप लोगो की रचनाओं को पढता व 
टिप्पणी
{: भी करता रहूँगा.  मै आज अपनी वही  पुरानी रचना पोस्ट कर रहा हूँ ,जो इस ब्लॉग की प्रथम पोस्ट थी.
शुभकामनाओं केसाथ  


कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये

पीर को भी प्यार  से, वेइंतिहाँ  सहलाइये
आशिकी में डूबते,उसको भी अपने पाइये

हैं नजारे ही नहीं,काफी समझ  भी  जाइये
देखने वाले के नजरों, में  जुनूँ  भी  चाहिये

बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये
रो रहे मासूम  को, रुक  कर ज़रा दुलराइये

टूटती  उम्मीद पे, हसते  हुये   बस आइये
अपने पहलू में नई,खुशियाँ मचलते पाइये


vikram

38 टिप्‍पणियां:

  1. एक अच्छी रचना पढ़ने का सुख मिला वहीं आपके लेखनी के विराम को जानक्र दुख भी हुआ।

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  2. विक्रम जी, कारण चाहे जो भी हो किन्तु ब्लॉग लेखन बंद करने का फैसला मुझे उचित नही लगा,इस पर पुनः गंभीरता से विचार करें...

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...

    जवाब देंहटाएं
  3. आखिरी कुछ भी नहीं ,विश्राम बस कहिये इसे ,
    याद आयेंगे बहुत ,सलाम मत कहिये इसे !

    शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  4. कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
    मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये... bas yahi duhrana hai

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  5. कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
    मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये

    ....इंतज़ार रहेगा आपके ब्लॉग जगत में फ़िर से सक्रिय होने का....

    जवाब देंहटाएं
  6. ब्लॉग लेखन बंद करने का फैसला मुझे उचित नही लगा

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  7. स्नेह के भाव लिये सुन्दर रचना ....आभार एवं शुभ कामनायें !

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  8. सर जी ,विनम्र अनुरोध है की लिखते रहिये ,जब भी समय मिले ,पूर्व की भाति

    जवाब देंहटाएं
  9. होता है ऐसा ही विक्रम जी...बहुत जल्द मैं भी आपके जैसा ही फ़ैसला लेने वाली हूं. शुभकामनाएं. उम्मीद है बीच बीच में आपकी रचनाएं पढने को मिलती रहेंगीं.

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  10. लिख दिया जो आपको नाराज इतना हो गये
    अब नही आगे लिखेगे कह यहाँ से चल दिये
    जा रहें हैं छोड़ के तो यह भी सुनते जाइये
    न कहूगाँ आपसे अब लौट,वापस आईये
    प्यार जो पाया यहाँ पे वह भुला न पायेगें
    डोर है तगड़ी बंधी क्या तोड़ इसको पायेगें
    जब उठेगे भाव दिल में रोक कैसे पायेगे
    फिर सुनाने आप हमको लौट करके आयेगे
    सादर
    शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  11. आखिरी पोस्ट लिख कर हमें सुन्दर कविताओं से वंचित न करें..
    kalamdaan.blogspot.in

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  12. इस ब्लाग की
    छुट्टी पर जाने से पहले की पोस्ट
    कर डालें
    आंखिरी को छुट्टी पर अपने साथ ले जालें
    लौट के आयें छुट्टी के बाद
    समय मिलने पर कोई पोस्ट चिपका डालें।

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  13. कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
    मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये
    ये सूत्र वाक्य ही बसा रहे हृदय में... लेखनी विराम नहीं लेगी कभी!
    सादर!

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  14. हैं नजारे ही नहीं,काफी समझ भी जाइये
    देखने वाले के नजरों, में जुनूँ भी चाहिये ...

    आकी जुनूनी नज़रों की प्रतीक्षा रहेगी विक्रम जी ... आना जावा और व्यस्ताता तो जरूरी है पर संपर्क रहे ये भी जरूरी है ..

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  15. कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
    मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये
    बिल्‍कुल सही कहा है आपने इन पंक्तियों में ..

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  16. आप भले ही अपने कामों को पूरा करें लेकिन कभी-कभी यहाँ भी कोई पोस्ट लगा दिया करें!
    शुभकामनाओं सहित!

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    उत्तर
    1. धन्यवाद,शास्त्री जी,आपका आदेश सर माथे

      हटाएं
  17. बहुत सुंदर रचना ,,अंतिम पोस्ट सुन कर थोडा अजीब लग रहा है,कुछ वक्त बाद फिर लिखिए.....

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  18. कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
    मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये.

    इतनी बेरुखी उचित नहीं लग रही. कभी कभी ही सही ब्लॉग पर भी आते रहिये..

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  19. माननीय साथियो
    .तीन साल के अपने ब्लॉग लेखन में मुझे एक से एक अच्छी व उच्च स्तरीय रचनाये पढने को मिली,व आज भी उम्दा लेखको का प्रवेश ब्लॉग जगत में हो रहा है,मै अपने इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी के विचारों से अवगत हुआ ,मुझे पहली बार यह एहसास हुआ कि यह ब्लॉग जगत अपनी रचनाओं को लिखने भर का मंच नही है,यह तो एक भरा पूरा परिवार है,जिससे हम एक अटूट रिश्ते के साथ जुड़े है,परिवार की भाति इसमें भी हमारे बुजुर्ग ,हम उम्र ,व युवा है. मुझसे भूल हुयी ,कि मैने इन रिश्तो को अनदेखा कर ऐसा लिखा ,मै आप सभी से अपनी इस भूल के लिये माफी चाहता हूँ. समय मिलने पर अपने इसी ब्लॉग पर पूर्व की भाति लेखन कार्य जारी रखुगां.
    क्षमा याचनाके साथ

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  20. बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये
    रो रहे मासूम को, रुक कर ज़रा दुलराइये
    बहुत बेहतरीन भाव

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