प्यार को नाम तो सौदाई दिया करता हैं
यह तो बन नूर हर इक दिल में रहा करता हैं
इसको रिश्तो की जजीरो में न बाँधा कीजै
यह वो जज्बा हैं जिसे रूह से समझा कीजै
अश्क बनके भी यह आखों में रहा करता हैं
प्यार को नाम ........................................
यह वो मय हैं जिसे दिल ही में उतारा कीजै
पी भी आखों से पिलाया भी उसी से कीजै
दर्द बनके यह नशा दिल में रहा करता हैं
प्यार को नाम .....................................
तख्तो -ताजो में इसे आप न खोजा कीजै
खून के कतरो मे इसको तो तलाशा कीजै
अपनी कुर्बानी पे यह फक्र किया करता हैं
प्यार को नाम.......................................
विक्रम
वाह साहब वाह प्यार पे क्या नसीहत दी है आपने बहोत खूब लिखा है आपने ढेरो बधाई आपको....
जवाब देंहटाएंअर्श
वाह-वाह ख़ूब,
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