मेरे हालात पर भी न इतना रहम खाओ तुम
कि मुझको शर्म आजाये, दो आँसू भी गिराने में
ये गुलशन मैने सीचा था,गुलों को तुमने लूटा हैं
इन काटों को तो रहने दो,मेरा दामन चुभाने को
ये गिरना गिर के उठना, फिर से चलना खूब सीखा हैं
नजर में अपनों के गिरना,नहीं बर्दाश्त कर पाये
ये माना मैं हूँ जज्बाती,मगर इतना नहीं यारा
की सच और सब्र के दामन से,अपने को जुदा कर लूँ
vikram
ये गुलशन मैने सीचा था,गुलों को तुमने लूटा हैं
जवाब देंहटाएंइन काटों को तो रहने दो,मेरा दामन चुभाने को
वाह जी वाह बेहतरीन एक एक शेर कमाल का हे
बहुत खूब
फूलों से कांट अच्छे
जो दामन थाम लेते हैं
दोस्तों से दुश्मन अच्छे
जो जलकर भी नाम लेते हैं
बहुत सुन्दर और प्रभावशाली रचना
जवाब देंहटाएंये माना मैं हूँ जज्बाती,मगर इतना नहीं यारा
जवाब देंहटाएंकी सच और सब्र के दामन से,अपने को जुदा कर लूँ
वाह! बहुत खूब लिखा है विक्रम जी आप ने.