बहुत खोया हैं मैने, जिन्दगी को जिन्दगी के वास्ते
मगर पाया नहीं कोई खुशी इस जिन्दगी के वास्ते
भटकता फिर रहा हूँ मैं, यहाँ रिश्तो के जंगल में
न इसको पा सका अब तक,इस दुनिया के समुन्दर में
मेरे हालत पहले से भी बदतर हों गये यारा
बहुत अरसा लगेगा रात से अब सहर होने में
बहुत रोया यहाँ मैं ,आदमी बन आदमी के वास्ते
मगर पाया नहीं ..........................................
हैं काफी वक्त खोया बुत यहाँ अपना बनाने में
नजर में भा सका न ये किसी के इस जमाने में
किया जज्बात के बाजार में सौदा बहुत यारा
कहीं पे रहा गयी कोई कमी इसको सजाने में
बहुत तडफा यहाँ इन्सान बन इंसानियत के वास्ते
मगर पाया नहीं ....................................................
विक्रम
किया जज्बात के बाजार में सौदा बहुत यारा
जवाब देंहटाएंकहीं पे रहा गयी कोई कमी इसको सजाने में
बहुत तडफा यहाँ इन्सान बन इंसानियत के वास्ते
मगर पाया नहीं ....................................................
bhaaw purn shabad hai