मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009
ऐ जिंदगी तुझे क्यूँ ..........
ऐ जिन्दगी तुझे क्यूँ ,मैने वफा था माना
ऐसा मिला हैं साहिल, ख़ुद से हुआ बेगाना
गमे-हिज्र से गुजर कर ,जिसकी तलाश की थी
नूरे-वफा से मैने ,जिसकी मिसाल दी थी
सरे वज्म आज उसने , मुझको नहीं पहचाना
ऐ .............
उन्हें क्या कहें बता तू, जो दुआ दे कत्ल करते
राहों को करके रोशन, नजरो से नूर लेते
हैं उनकी ये अदा जी,मुझे जान से हैं जाना
ऐ...........
कल जाने मय कदे में,किसने उन्हें पिलाई
लत उनकी बन गई हैं,मेरी जान पे बन आई
खूने जिगर से मेरे, उन्हें भरने दो पैमाना
ऐ........
विक्रम
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