कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये, मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये.
बहुत ही बढ़िया रचना है---मिलिए अखरोट खाने वाले डायनासोर से
इमानदारी से कहूँ...आजतक आपकी लिखी जितनी भी रचनाएँ पढी,शायद ही कोई ऐसी लगी की इसे केवल पढ़ लिया जाय सहेजने की आवश्यकता नहीं...माँ शारदे अपना वरद कर सदा आपके मस्तक पर रखें...
रंजना जी ,बहुत बहुत धन्यवाद तथा‘नज़र’आपको को भी
बहुत ही बढ़िया रचना है
जवाब देंहटाएं---
मिलिए अखरोट खाने वाले डायनासोर से
इमानदारी से कहूँ...आजतक आपकी लिखी जितनी भी रचनाएँ पढी,शायद ही कोई ऐसी लगी की इसे केवल पढ़ लिया जाय सहेजने की आवश्यकता नहीं...
जवाब देंहटाएंमाँ शारदे अपना वरद कर सदा आपके मस्तक पर रखें...
रंजना जी ,बहुत बहुत धन्यवाद तथा‘नज़र’आपको को भी
जवाब देंहटाएं