पंक्षी क्या पर थके तुम्हारे
थे नीले अम्बर के राही
सबल-सलिल सुख दुःख के ग्राही
वायु वेग से सहम गए क्यूं ,सबल पंख ये आज तुम्हारे
उत्पीडन, निंदा के डर से
या मन मलिन विसर्जित कल से
किस कुंठा से ग्रसित हो गये,सुर शोभित ये कंठ तुम्हारे
आ बीते कल को झुठला दे
जीवन को मिल नई दिशा दे
क्यूं अतीत से घिरे हुए हो,आज चलो तुम साथ हमारे
vikram
आ बीते कल को झुठला दे
जवाब देंहटाएंजीवन को मिल नई दिशा दे
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आशा और आह्वान सबल कर देंगे पंछी के थके पर को
बहुत सुन्दर और सार्थक कविता
प्रभावpurn रचना ..कमाल लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंआ बीते कल को झुठला दे
जवाब देंहटाएंजीवन को मिल नई दिशा दे
क्यूं अतीत से घिरे हुए हो,आज चलो तुम साथ हमारे..sundar bhaav
बहुत सुन्दर और उम्दा भाव एवं शब्द संयोजन!!
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