कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये
पीर को भी प्यार से,वेइंतिहाँ सहलाइये
आशिकी में डूबते,उसको भी अपने पाइये
हैं नजारे ही नहीं,काफी समझ भी जाइये
देखने वाले के नजरों,में जुनूँ भी चाहिये
बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये
रो रहे मासूम को,रुक कर ज़रा दुलराइये
टूटती उम्मीद पे,हसते हुए बस आइये
अपने पहलू में नई,खुसियां मचलते पाइये
[पुन: प्रकाशित ]विक्रम
कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये
मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये
पीर को भी प्यार से,वेइंतिहाँ सहलाइये
आशिकी में डूबते,उसको भी अपने पाइये
हैं नजारे ही नहीं,काफी समझ भी जाइये
देखने वाले के नजरों,में जुनूँ भी चाहिये
बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये
रो रहे मासूम को,रुक कर ज़रा दुलराइये
टूटती उम्मीद पे,हसते हुए बस आइये
अपने पहलू में नई,खुसियां मचलते पाइये
[पुन: प्रकाशित ]विक्रम
बहुत सुन्दर भाव!
जवाब देंहटाएंहैं नजारे ही नहीं,काफी समझ भी जाइये
जवाब देंहटाएंदेखने वाले के नजरों,में जुनूँ भी चाहिये
behatreen....prabhavshali abhivyakti
पीर को प्यार से सहलाते ..मासूम को दुलारते चलते रहें ...कारवां बन ही जाएगा ...
जवाब देंहटाएंटूटती उम्मीद पे,हसते हुए बस आइये
जवाब देंहटाएंअपने पहलू में नई,खुसियां मचलते पाइये...
vaah behd sundr .
बहुत सुन्दर जोशीली रचना
जवाब देंहटाएंआभार.................