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शनिवार, 23 जनवरी 2010

कारवाँ बन जायेगा,........

कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये

मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये

पीर को भी प्यार से,वेइंतिहाँ सहलाइये

आशिकी में डूबते,उसको भी अपने पाइये

हैं नजारे ही नहीं,काफी समझ भी जाइये

देखने वाले के नजरों,में जुनूँ भी चाहिये

बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये

रो रहे मासूम को,रुक कर ज़रा दुलराइये

टूटती उम्मीद पे,हसते हुए बस आइये

अपने पहलू में नई,खुसियां मचलते पाइये

[पुन: प्रकाशित ]विक्रम

5 टिप्‍पणियां:

  1. हैं नजारे ही नहीं,काफी समझ भी जाइये

    देखने वाले के नजरों,में जुनूँ भी चाहिये
    behatreen....prabhavshali abhivyakti

    जवाब देंहटाएं
  2. पीर को प्यार से सहलाते ..मासूम को दुलारते चलते रहें ...कारवां बन ही जाएगा ...

    जवाब देंहटाएं
  3. टूटती उम्मीद पे,हसते हुए बस आइये

    अपने पहलू में नई,खुसियां मचलते पाइये...
    vaah behd sundr .

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर जोशीली रचना
    आभार.................

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