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रविवार, 13 जून 2010

अल्ला मेघ दे...........







अल्ला मेघ दे पानी दे, जीवन कर धानी ,मौला मेघ दे
इक जिन्दगानी दे कोई कहानी दे,कोई कहानी,अल्ला मेघ दे
नयनों के कोर सूखे
आँचल के छोर सूखे
मन के चकोर छूटे
आशा की डोर टूटे

मन को पीर दे नीर दे, नीर दो खारे,अल्ला मेघ दे

तरुवर के पात जैसे
मेरे हैं गात वॆसे

कोई पतझड आये

जीवन निधि ले न जाये
इसको प्यास दे आश दे ,बोल दो प्यारे, अल्ला मेघ दे

पनघट मे शाम जायें


फिर भी कोई न आये

पंछी बिन गीत गाये

मेरे अंगना से जाये

इसको रीत दे सीख दे गीत दो प्यारे,अल्ला मेघ दे
ममता के दे वो साये

दिल में जो आश जगाये

नन्ही किलकारी भाये

गोदी छुप मुझे सताये

ऎसी हूक दे कूक दे पीक कुंआरे, अल्ला मेघ दे

vikram

[पुन: प्रकाशित]

6 टिप्‍पणियां:

  1. ममता के दे वो साये
    दिल में जो आश जगाये

    वाह बेमिसाल

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  2. वाह
    भावपूर्ण रचना बढ़िया लगी ...

    जवाब देंहटाएं
  3. खूबसूरत अभिव्यक्ति..


    मंगलवार 15- 06- 2010 को आपकी रचना ( मैंने अपने कल को देखा है )... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है


    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं