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सोमवार, 30 अप्रैल 2012

रात के अन्धेरे में.......



रात के अन्धेरे में
मै
अपने दर्द को
हौले-हौले थपथपा के सहला के
सुलाने का प्रयास करता रहा
और तेरी यादें
किसी नटखट बच्चे की तरह
आ-आकर
न उसे सोने देती,न मुझे सुलाने देती
मै चिडचिडाता हूँ,बिगडता हूँ
पर सच तो यह है
मै
अपने आप को,यह समझा नहीं पाता हूं
कि मेरा दर्द और तेरी यादें
अलग-अलग नहीं एक है
तू नहीं तो क्या
मेरे पास
हमारे टूटे घरौदे के
कुछ अवशेष
अभी भी शेष हैं
vikram

16 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे पास
    हमारे टूटे घरौदे के
    कुछ अवशेष
    अभी भी शेष हैं,

    बहुत सुंदर प्रस्तुति,..बेहतरीन रचना के लिए बधाई,विक्रम जी,..

    MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....

    जवाब देंहटाएं
  2. जो भी है,
    टूटा-फूटा
    वह अपना तो है !

    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. मै
    अपने आप को,यह समझा नहीं पाता हूं
    कि मेरा दर्द और तेरी यादें
    अलग-अलग नहीं एक है
    तू नहीं तो क्या
    मेरे पास
    हमारे टूटे घरौदे के
    कुछ अवशेष
    अभी भी शेष हैं... गहरे भाव अकुलाये मन के

    जवाब देंहटाएं
  4. कि मेरा दर्द और तेरी यादें
    अलग-अलग नहीं एक है
    तभी तो ..

    हमारे टूटे घरौदे के
    कुछ अवशेष
    अभी भी शेष हैं

    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत भावपूर्ण खूबसूरत रचना ..

    जवाब देंहटाएं
  6. हमारे टूटे घरौदे के
    कुछ अवशेष
    अभी भी शेष हैं
    बहुत है इतना कुछ जीने के लिए, अभी भी कुछ तो शेष है... भावपूर्ण रचना...

    जवाब देंहटाएं
  7. शेष अशेष में उपजी भावपूर्ण रचना .

    साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं
  8. खूबसूरत रचना ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुरत ही भाव पूर्ण ... उनकी यादें और दर्द ... सिक्के के दो पहलू ही हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    हैल्थ इज वैल्थ
    पर पधारेँ।

    जवाब देंहटाएं
  12. कुछ अवशेष रह जाते हैं जो शेष दर्द की यादें दिलाते रहते हैं. भावुक रचना, शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  13. कि मेरा दर्द और तेरी यादें
    अलग-अलग नहीं एक है
    तू नहीं तो क्या
    मेरे पास
    हमारे टूटे घरौदे के
    कुछ अवशेष
    अभी भी शेष हैं...

    आह ये दर्द ।

    जवाब देंहटाएं