चलो आज कुछ नया करे हम
इसी पुराने तन को धर कर
सडे घुने से मन को लेकर
जीवन की अन्तिम बेला मे,आज नया प्रस्थान करे हम
चलो आज कुछ नया करे हम
वही शशंकित आशाये धर
घने पराये पन से डर कर
सासों की इस पगडन्डी से,हट कर कोई राह चुने हम
चलो आज कुछ नया करे हम
तृप्ति कहाँ होती मन गागर
सुख के चाह रही वो सागर
छोड़ इसे इस ही पनघट पर,मरुथल में विश्राम करें हम
चलो आज कुछ नया करें हम
vikram
इसी पुराने तन को धर कर
सडे घुने से मन को लेकर
जीवन की अन्तिम बेला मे,आज नया प्रस्थान करे हम
चलो आज कुछ नया करे हम
वही शशंकित आशाये धर
घने पराये पन से डर कर
सासों की इस पगडन्डी से,हट कर कोई राह चुने हम
चलो आज कुछ नया करे हम
तृप्ति कहाँ होती मन गागर
सुख के चाह रही वो सागर
छोड़ इसे इस ही पनघट पर,मरुथल में विश्राम करें हम
चलो आज कुछ नया करें हम
vikram
आप तथा आपके परिवार को जन्माष्टमी तथा स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंअच्छा आह्वान नया करने के लिये
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
atisundar ......shabd nahi hai ki wyaan kare .....bas itan hi kah sakate hai ki ....dil ko chhoo gayi aapaki yah rachana
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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Bhut dino se net se door rahne ke karan aapke utkrisht rachnaon ke pathan se bhi vanchit rahi...
जवाब देंहटाएंaaj padhkar aanand ras me fir se gote lagane ka awsar mila...bahut bahut aabhar aapka..
बहुत बढ़िया है भाई.
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